झारखंड में DGP की नियुक्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने UPSC पर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि UPSC की ओवरहालिंग जरूरी है, क्योंकि इस महत्वपूर्ण संस्था को पता ही नहीं रहता कि राज्यों में क्या हो रहा है और कहां क्या जरूरी है? कोर्ट ने झारखंड सरकार से भी पूछा कि अदालत के नोटिस जारी करने के बाद DGP की नियुक्ति की क्यों की गई. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा को झारखंड सरकार और UPSC द्वारा कोर्ट की अवमानना के मामले में पक्षकार बनाया. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि UPSC में तो ओवरहालिंग की जरूरत है. राज्य सरकार ने बताया कि हमने UPSC को पांच बार लिखा कि राज्य में डीजीपी की नियुक्ति के लिए पैनल बना दे, क्योंकि समय से ये नियुक्ति होनी बहुत जरूरी है.
DGP नीरज सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमे में अपना पक्ष रखने के लिए पक्षकार बनाया गया है . झारखंड में दो साल के कार्यकाल के बगैर डीजीपी को हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की गई है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और यूपीएससी को नोटिस कर तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. इस मामले में राजेश कुमार नाम के व्यक्ति के द्वारा अवमानना की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में की गई है.
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. वकील प्रणव सचदेवा ने भी कोर्ट को जानकारी दी है कि झारखंड सरकार ने डीजीपी रहे केएन चौबे की नियुक्ति 31 मई 2019 को की थी. उन्हें 31 मई तक 2021 के पद पर रहना चाहिए था, लेकिन सरकार ने उन्हें हटा दिया. इसके बाद उनकी जगह 16 मार्च 2020 को एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाया गया था, जो कि प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध था
. इसके बाद राव को भी हटाकर सरकार ने 11 फरवरी को नीरज सिन्हा को डीजीपी बनाया.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जुलाई 2020 में UPSC को वरीय पुलिस अधिकारियों का पैनल झारखंड सरकार ने भेजा था, ताकि DGP का चयन हो सके, लेकिन UPSC ने तब राज्य सरकार से केएन चौबे को हटाने की वजह पूछी थी. राज्य सरकार के पत्राचार के बाद UPSC ने दुबारा सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाकर दिशा-निर्देश लाने को कहा था, लेकिन सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं गई. बाद में पुराने पैनल में वरीयता के आधार पर नीरज सिन्हा को DGP नियुक्त कर दिया गया.