भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. उन्होंने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की हालिया राय पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर दिए गए फैसले में अदालत ने विदेशी कानूनों की बजाय भारतीय न्याय परंपरा और फैसलों को प्राथमिकता दी.
सीजेआई गवई ने कहा, 'कल के फैसले में हमने एक भी विदेशी उदाहरण का उपयोग नहीं किया, बल्कि पूरी तरह स्वदेशी व्याख्या पर भरोसा किया.' इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने टिप्पणी की कि अब फैसलों में ‘भारतीयता की नई हवा' चलने लगी है. उन्होंने कहा कि पांच जजों की संविधान पीठ ने अमेरिकी और ब्रिटिश सिस्टम को भारत के संवैधानिक ढांचे से स्पष्ट रूप से अलग किया है.
'यह एक नई मिसाल है'
मेहता ने यह भी कहा कि जजमेंट ने सिर्फ 110 पेज में सब कुछ स्पष्ट कर दिया और यह एक नई मिसाल है कि फैसला ‘लॉ रिव्यू आर्टिकल' जैसा न होकर एक ठोस निर्णय होना चाहिए.
यह भी पढ़ें- 'क्या भूकंप के पीछे भी SIR?', बीजेपी के तंज पर टीएमसी बोली-तुम्हारे पैरों के नीचे की जमीन खिसक रही
यह बातचीत सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम नंबर 1 में सेरेमोनियल बेंच प्रोसिडिंग्स के दौरान हुई, जो सीजेआई गवई के रिटायरमेंट से पहले का आखिरी कार्यदिवस था. इस मौके पर जस्टिस सूर्यकांत ने गवई की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने ‘कानून के राज के प्रति अटूट लगन' और ‘उच्च मानक' स्थापित किए.
सोमवार को CJI बनेंगे जस्टिस सूर्यकांत
जस्टिस गवई ने पुराने रिवाज के मुताबिक अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का नाम रिकमेंड किया था. 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालेंगे.
कोर्टरूम में माहौल हल्का-फुल्का भी रहा. जब एक वकील ने सीजेआई गवई पर फूल बरसाने की कोशिश की, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, 'नहीं, नहीं, मत फेंको… इसे किसी को दे दो.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)













