मुफ्त में सौगात देने के मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों को फैसला करना चाहिए, न्यायपालिका को नहीं : वेंकैया नायडू

मुफ्त में सौगात देने को लेकर जारी चर्चा में शामिल होते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि इस मुद्दे पर फैसला निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को लेना चाहिए ना कि न्यायपालिका को या उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) को.

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नायडू, अरुण जेटली की पुस्तक ‘ए न्यू इंडिया’ के विमोचन पर नायडू लोगों को संबोधित कर रहे थे.
नई दिल्ली:

मुफ्त में सौगात देने को लेकर जारी चर्चा में शामिल होते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने बुधवार को कहा कि इस मुद्दे पर फैसला निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को लेना चाहिए ना कि न्यायपालिका को या उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) को. देश में कुछ राज्यों की सरकारों द्वारा मुफ्त में दी जा रही सौगातों को लेकर बहस शुरू हो गई है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. भाजपा के नेता रहे अरुण जेटली की पुस्तक ‘ए न्यू इंडिया' के विमोचन के मौके पर नायडू लोगों को संबोधित कर रहे थे.

पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन दिनों दलबदल निरोधक और मुफ्त सौगात बांटने जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है और लोग मामले को अदालत तक ले जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘कानून की व्याख्या के लिए कोई भी अदालत में जा सकता है. लेकिन क्या कानून बनाने की जरूरत है? कौन सी नीति बनानी है? यह संसद और राजनीतिक दलों के अधिकार क्षेत्र में है.''

यह पुस्तक दिवंगत नेता अरुण जेटली द्वारा 2014-2019 के बीच लिखे गये चुनिंदा लेखों का संकलन है. मोदी सरकार के पहले वित्त मंत्री जेटली का 24 अगस्त, 2019 को 66 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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