ऑनलाइन स्‍टडी के लिए आर्थिक रूप से कमजोर स्‍टूडेंट्स को गैजेट्स उपलब्‍ध कराए सरकार : सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जो बच्चे इस देश के भविष्य हैं, उनकी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. हर तबके के बच्चों की  जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जो बच्चे देश के भविष्य हैं उनकी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
नई दिल्‍ली:

EWS छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने अहम आदेश देते हुए कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को ऑनलाइन क्लास के लिए सरकार, गैजेट्स मुहैया कराए. SC ने दिल्ली सरकार और केंद्र को EWS बच्चों के लिए गैजेट्स के फंड के लिए योजना तैयार करने का निर्देश दिया और  केंद्र और दिल्ली को तत्काल आधार पर एक साथ काम करने का निर्देश दिया.अदालत ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि बच्चे संसाधनों की कमी के कारण शिक्षा तक पहुंच न खोएं. निजी और सरकारी दोनों स्कूलों के EWS बच्चों के लिए गैजेट्स की फंडिंग हो.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जो बच्चे इस देश के भविष्य हैं, उनकी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. हर तबके के बच्चों की  जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए. चाहे उनके पास जो भी संसाधन हों. EWS  बच्चों के माता-पिता पर्याप्त संपन्न नहीं हैं. एक तरफ हम EWS बच्चों को मुख्यधारा में मिलाते हैं लेकिन जिस बच्चे की मां नौकरानी या पिता ड्राइवर है उसे लैपटॉप कैसे मिलेगा. स्कूल वीडियो भेजते हैं, बच्चे उन तक कैसे पहुंचेंगे. डिजिटल डिवाइड ने महामारी के दौरान गंभीर परिणाम उत्पन्न किए क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया, क्योंकि वे ऑनलाइन कक्षाओं के लिए कंप्यूटर का खर्च नहीं उठा सकते. इसलिए  सरकार को उन्हें सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.सरकार इसके लिए CSR फंडिंग का उपयोग कर सकती है

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्थिति की कल्पना कीजिए.दिल्ली तकनीकी रूप से विकसित हो सकती है लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में क्या, वहां बच्चों के लिए ब्लैकआउट है. ऐसी स्थिति में बच्चों को बाल श्रम और तस्करी में उतरने का खतरा होता है. सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि वो एक अन्य याचिका पर CJI से निर्देश ले जिस पर नोटिस जारी किया जा चुका है ताकि दोनों याचिकाओं को एक साथ सुना जा सके. दरअसल SC दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों जैसे सरकारी स्कूलों को ऑनलाइन पढाई की सुविधा के लिए EWS श्रेणी के छात्रों को गैजेट और इंटरनेट पैकेज की आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया था.

इस दौरान वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि सरकार उम्मीद कर रही है कि दशहरे के बाद स्कूल शारीरिक तौर पर फिर से खुलेंगे.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'बड़ी कक्षाओं के लिए स्कूल खुल रहे हैं.छोटे बच्चों के लिए बच्चों के लिए टीकाकरण होने तक शायद और देरी होनी चाहिए. इसमें कुछ समय लगेगा. मैंने इसे व्यक्तिगत रूप से देखा है कि यह बहुत ही हृदयविदारक है. हम EWS बच्चों का एक निजी स्कूल में विलय कर रहे हैं लेकिन आप एक EWS बच्चे को लैपटॉप/फोन कैसे देंगे ?क्लास अटेंड करने के लिए आपको एक लैपटॉप चाहिए, क्लास के लिए वीडियो सेंड करना होगा, होमवर्क अपलोड करना होगा.' जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि आप आदिवासी/ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति की कल्पना कर सकते हैं. दिल्ली भले ही तकनीकी प्रगति कर रही हो, लेकिन आदिवासी/ग्रामीण/दूर-दराज के इलाकों में बच्चों के स्कूल छोड़ने का गंभीर खतरा है. दिल्ली HC ने EWS बच्चों पर इस फैसले पर इतना काम किया है.  उन्‍होंने कहा कि सरकार को बाल श्रम, बाल तस्करी, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों जैसे खतरे को दूर करना है.महामारी के दौरान राज्य क्या कर रहा है? माता-पिता के पास बढ़ी हुई फीस से वित्तीय बोझ को झेलने के लिए संसाधन नहीं हो सकते हैं.सरकार को कुछ करना होगा. इस दौरान दिल्ली सरकार के लिए वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि सरकार महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास चला रही है. बाजार की ताकतों ने निजी स्कूलों पर ऑनलाइन शिक्षा के साथ आने के लिए दबाव डाला है, इसके लिए अधिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है.

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