भारत में BBC को बैन करने की याचिका : CJI ने कहा-"कल फिर करें जल्द सुनवाई की मांग"

याचिका में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में 2014 से भारत के समग्र विकास में तेजी आई है. यह भारत विरोधी लॉबी, मीडिया विशेष रूप से बीबीसी पचा नहीं पा रहा है. 

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याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं 2002 की गुजरात हिंसा से संबंधित मामलों को बंद कर दिया था.
नई दिल्ली:

भारत में BBC को बैन करने की याचिका पर CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से कहा कि शुक्रवार को फिर से जल्द सुनवाई की मांग करें. हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने यह याचिका दाखिल की है. दरअसल, 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित 'इंडिया : द मोदी क्वेश्चन'  डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में भारत में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन  पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में मांग की गई है बीबीसी द्वारा भारत की एकता और अखंडता तोड़ने की साजिश की जांच NIA द्वारा करवाई जानी चाहिए. 

हिंदू धर्म विरोधी प्रचार

याचिका में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने के लिए है, बल्कि भारत के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने के लिए बीबीसी द्वारा हिंदू धर्म विरोधी प्रचार भी है. भारतीय स्वतंत्रता के समय से ही बीबीसी का भारत विरोधी रुख रहा है. बीबीसी स्वतंत्र शासन के बाद के भारत में भारत-विरोधी प्रचार का काम कर रहा है.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बीबीसी को भारत में दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. भारत में तैनात बीबीसी के ब्रिटिश कर्मचारियों को देश छोड़ने के लिए कहा गया था. भारतीय कर्मचारियों को कंपनी छोड़ने के लिए कहा गया था. 

1975 का जिक्र

याचिका में कहा गया है कि साल 1975 में, कांग्रेस पार्टी से संबंधित 41 संसद सदस्यों ने एक हस्ताक्षरित बयान जारी कर बीबीसी पर "कुख्यात रूप से भारत विरोधी कहानियों को प्रसारित करने का आरोप लगाया और सरकार से बीबीसी को भारत की धरती से फिर से रिपोर्ट करने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा था. अभी केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनलों पर वृत्तचित्र के  प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, इसे देश भर के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रदर्शित किया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र

याचिका में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में 2014 से भारत के समग्र विकास में तेजी आई है. यह भारत विरोधी लॉबी, मीडिया विशेष रूप से बीबीसी पचा नहीं पा रहा है. बीबीसी भारत और भारत सरकार के खिलाफ पक्षपाती रहा है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं 2002 की गुजरात हिंसा से संबंधित मामलों को बंद कर दिया था. क्योंकि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था, जो यह दर्शाता हो कि हमले गुजरात राज्य के किसी मंत्री द्वारा प्रेरित या उकसाए गए थे. अदालत ने उक्त याचिका को कड़ाही को खौलाने  का प्रयास बताया था. गुजरात हिंसा पर नानावटी आयोग की रिपोर्ट ने भी गुजरात सरकार के किसी भी मंत्री को हिंसा से जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं होने के बारे में स्पष्ट निष्कर्ष दिया है. बीबीसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए 27 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व दिया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

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