बेंगलुरु में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड के बाद अब उनका परिवार पोते की कस्टडी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने जा रहा है. अतुल की मां ने अपने 4 साल के पोते की कस्टडी के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. अतुल सुभाष की मां ने हैबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए शीर्ष अदालत ने न्याय की गुहार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार को इस याचिका पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामले की सुनवाई कर तीनों राज्यों को नोटिस जारी किया. अब इस मामले पर 7 जनवरी 2025 को सुनवाई होनी है.
34 साल के AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु स्थित अपने फ्लैट में फांसी लगा ली थी. मरने से पहले अतुल सुभाष ने करीब डेढ़ घंटे का वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंहानिया और चाचा ससुर सुशील सिंहानिया पर हैरेसमेंट, आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था. उन्होंने 24 पन्ने का सुसाइड नोट भी अपने दोस्तों और परिवार को सर्कुलेट किया था. इसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने तीनों आरोपियों को अरेस्ट किया. फिलहाल सभी ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं. जबकि निकिता के चाचा फरार चल रहे हैं.
निकिता ने बोर्डिंग स्कूल में कराया है बच्चे का एडमिशन
निकिता सिंघानिया ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि उसने बच्चे का एडमिशन फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में करवाया था. फिलहाल बच्चे की देखकर उसके चाचा सुशील सिंघानिया कर रहे थे. हालांकि, सुशील सिंघानिया ने भी बच्चे की लोकेशन के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है.
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अतुल की मां ने दहेज के मामलों में भी लगाई गुहार
इसके साथ ही अतुल की मां ने अपनी याचिका में अर्जी दी है कि दहेज उत्पीड़न से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट में एक साथ होनी चाहिए. साथ ही अगर मामले के किसी एक पक्ष का वादी कहीं और रह रहा है, तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का प्रावधान किया जाना चाहिए.
अतुल ने पत्नी पर लगाया था 3 करोड़ मांगने का आरोप
अतुल सुभाष बेंगलुरु के मराठाहल्ली में रहते थे. वह बेंगलुरु सिटी में एक प्राइवेट फर्म में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में DGM के पद पर काम कर रहे थे. सुसाइड से पहले उन्होंने 24 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है. इसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर हैरेसमेंट के आरोप लगाए हैं. अतुल ने ये भी कहा कि उनकी पत्नी ने सेटलमेंट के लिए 3 करोड़ रुपये की डिमांड की है. जबकि बच्चे की देखभाल और मेनटेनेंस के लिए अलग से रकम मांगी गई थी. अतुल सुभाष ने अपने लिए न्याय की मांग की. उन्होंने अपने वीडियो मैसेज में X (पहले ट्विटर) के मालिक एलन मस्क और अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप को भी टैग किया था.
अतुल पर निकिता ने दर्ज कराए थे कौन-कौन से केस?
निकिता सिंघानिया और उसके परिवार ने अतुल सुभाष पर हत्या की कोशिश, अप्राकृतिक यौन संबंध और धारा 498ए (दहेज) और अन्य के झूठे आरोप लगाए गए थे. उनकी पत्नी ने सेटलमेंट के लिए उनसे 3 करोड़ रुपये की डिमांड की थी. जबकि उन्हें पहले से 40,000 रुपये हर महीने मिलते थे. पत्नी खुद एक्सेंचर में काम करती हैं. पत्नी ने बच्चे की देखभाल के लिए अतुल से 2 लाख प्रति महीने की डिमांड की थी.
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सुसाइड नोट लिखा, वीडियो भी किया रिकॉर्ड
पुलिस को अतुल सुभाष के रूम से कई दस्तावेज मिले हैं. उन्होंने फांसी लगाने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था. गूगल ड्राइब्स पर सबूत छोड़े थे. पत्नी की फोटो और बाकी डॉक्युमेंट्स भी अपलोड किए थे. अतुल ने फांसी लगाने से पहले अपना सुसाइड नोट ईमेल के जरिए कई दोस्तों और परिवार के लोगों को भेजा.
तारीख पर तारीख का किया जिक्र
अपने वीडियो में अतुल सुभाष ने बताया कि अभी तक इस केस में उन्हें कोर्ट से 120 तारीखें मिल चुकी हैं. 40 बार वह खुद बेंगलुरु से जौनपुर जा चुके थे. उनके माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. उन्होंने अपने वीडियो में बताया कि उन्हें सिर्फ 23 छुट्टियां मिलती थीं. वह इस सिस्टम से थक चुके थे.
सुसाइड नोट में लिखी थी अपनी लास्ट विश
अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में 12 पॉइंट में अपनी विश लिस्ट भी शेयर की हैं. इसमें कहा गया है कि उनके केस की हियरिंग लाइव होनी चाहिए, ताकि लोगों को इस देश के लीगल सिस्टम के बारे में पता चल सके. अतुल ने कहा कि बच्चे की कस्टडी मेरे परिवार को दी जाए, ताकि मेरा परिवार मेरे बच्चे में अच्छे संस्कार डाल पाए. उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पत्नी और ससुराल पक्ष से किसी को भी उनकी लाश के पास आने की परमिशन न दी जाए. जब तक कि उनके गुनहगारों को सजा नहीं मिल जाती, तब तक उनका अस्थि विसर्जन न किया जाए. अगर इतने सबूतों के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिलता है, तो उनकी अस्थियों को किसी कोर्ट के बाहर गटर में बहा दिया जाए.
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