"सिर्फ स्याही ही काली": पीएम मोदी की 'किसानों को दोष न देने' की लाइन से हटे मंत्री

पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री वीके सिंह का बयान कृषि कानूनों की वापसी पर पीएम नरेंद्र मोदी के लहजे से हटकर

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नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह (फाइल फोटो).

लखनऊ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा राष्ट्र से माफी मांगने और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की घोषणा करने के एक दिन बाद उनके सहयोगी नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री वीके सिंह (VK Singh) शनिवार को इस मुद्दे को लेकर आधिकारिक लाइन से भटकते हुए दिखाई दिए. पीएम मोदी ने कल कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करते हुए यह रेखांकित किया था कि उनकी किसी को दोष देने में कोई दिलचस्पी नहीं है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह ने कहा कि "कभी-कभी हम चीजों को अच्छी तरह से समझते हैं लेकिन फिर हम आंख बंद करके दूसरे व्यक्ति का अनुसरण करते हैं. मैंने एक किसान नेता से इन कानूनों के बारे में पूछा कि इसमें 'काला' क्या है जिसे आप 'काला कानून' कहते हैं. मैंने कहा स्याही के अलावा और क्या काला है इन कानूनों में? उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं लेकिन यह अभी भी काला है.' इसका इलाज क्या है? कोई इलाज नहीं है. किसान संगठनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है. किसी कारण से वे छोटे किसान के लाभ के बारे में नहीं सोच रहे हैं. इसलिए पीएम ने कानूनों को वापस ले लिया है.” 

वीके सिंह ने कहा कि ''हमारे वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल जी हैं, उनके निमंत्रण पर सिद्धार्थनगर में सांसद खेल महाकुम्भ में आएं हैं. साथ-साथ उन्होंने हमको निमंत्रण दिया कपिलवस्तु महोत्सव के लिए उसमें भी भाग लेंगे. उन्होंने जिस आदर भाव से बुलाया उनको धन्यवाद देता हूं और यहां की जनता को भी धन्यवाद देता हूं. कृषि कानून को लेकर जैसा प्रधानमंत्री ने कल कहा अगर खुशहाली देखने का किसी ने प्रयास किया है तो वह नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने किया है. चाहे मामला भूमि परीक्षण का हो. नीमकोटेड यूरिया से कैसे खेती की पैदावार बढ़ाई जाए. कैसे उनको फायदा हो. कैसे स्वामीनाथन की सिफारिश लागू की जानी आदि...'' उन्होंने बाद में यह भी कहा कि ''आगे यह पटरी बदली नहीं जाएगी. किसान मान धन योजना हो, किसान की पेंशन हो... सरकार ने आज तक सोचा यह कानून किसानों के फायदे के लिए था. खासकर छोटे किसानों के लिए था. राजनीति इसमें बहुत ज्यादा हुई. वे ये नहीं जानते कि वे लोग किसानों को बहका रहे हैं. वे किसानों के हित में नहीं हैं. यह माननीय नरेंद्र मोदी जी की सरकार है, आप नहीं समझ रहे हो, तो ठीक है यह कानून वापस ले रहे हैं.''

उन्होंने कहा कि कई बार हम लोग चीजों को तो समझते हैं लेकिन एक भेड़ चाल शुरू हो जाती है. कई लोगों की, किसान संगठनों में आपस के वर्चस्व की लड़ाई है. खासकर ऐसे लोग छोटे किसानों के फायदे की बात नहीं सोचते. इसलिए प्रधानमंत्री ने कानून वापस ले लिया. चुनाव में जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी जीतेगी, आप खुद देख लीजिएगा. ओवैसी साहब खेती नहीं करते. जो खेती नहीं करता वह खेती समझता भी नहीं. स्वामीनाथन कमेटी की जो रिकमंडेशन हैं, उनको हमने लागू कर दिया. जबकि पिछली बार जब लोगों ने इस पर सवाल उठाया था तो सत्र खत्म होने से पहले ही एमएसपी अनाउंस हो गई थी. तो इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है.

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पीएम मोदी का कानूनों को वापस लेने का कदम किसानों से सुलह की संभावनाओं से हटकर था. शुक्रवार को उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. पीएम मोदी ने कहा था गुरु नानक की जयंती कानून का विरोध करने वाले हजारों सिख किसानों के लिए एक पवित्र दिन, यह किसी को दोष देने के लिए नहीं है.

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