क्या ममता बनर्जी को बोलने से रोका गया? नीति आयोग के CEO ने बताई सच्चाई; जानें पूरा मामला

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक को बीच में छोड़कर चली गईं. उन्होंने बाहर जाकर दावा किया कि बैठक में उनका माइक बंद कर दिया गया. पीआईबी ने फैक्ट चेक शेयर करके बताई सच्चाई.

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नई दिल्ली:

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में नीति आयोग (NITI Aayog) की नौवीं गवर्निंग काउंसिल (Governing Council) की बैठक दिल्ली में शनिवार को हुई. इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपालों को आमंत्रित किया गया था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) इस बैठक को बीच में छोड़कर चली गईं. उन्होंने बाहर जाकर दावा किया कि बैठक में उनका माइक बंद कर दिया गया. उन्हें बोलने की इजाजत नहीं देकर अपमानित किया गया. इस पर सरकार की तरफ से ममता बनर्जी के आरोपों को पूरी तरह से गलत और निराधार बताया गया है.   

ममता बनर्जी ने दिल्ली में बैठक से बाहर निकलने के बाद और फिर कोलकाता लौटने पर हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगर अन्य राज्यों को अधिक धन आवंटित किया जाता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वह पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव का विरोध करेंगी. उन्होंने कहा कि, ‘‘मुझे बोलने नहीं दिया गया. वे बार-बार घंटी बजा रहे थे. यह अपमानजनक है.'' 

माइक बंद किए जाने से सरकार ने किया इनकार

ममता बनर्जी के आरोप पर सरकार ने कहा कि, आरोप पूरी तरह से गलत और निराधार हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक बंद नहीं किया गया था. नियमों के आधार पर उनके बोलने की बारी लंच के बाद आनी थी. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें बैठक में सातवें वक्ता के रूप में बोलने का मौका दिया गया, क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था.

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पीआईबी ने फैक्ट चेक करके बताया कि ममता का दावा गलत

केंद्र सरकार से जुड़ी भ्रामक खबरों का फैक्ट चेक करके सही तथ्य लोगों के सामने रखने वाली सरकारी संस्था पीआईबी की फैक्ट चेक इकाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर ममता बनर्जी के बयान को शेयर करते किया. पीआईबी ने कहा कि, "यह दावा किया जा रहा है कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था. यह दावा भ्रामक है. घड़ी ने केवल यह दिखाया कि उनके बोलने का समय समाप्त हो गया था. यहां तक ​​कि इसे चिह्नित करने के लिए घंटी भी नहीं बजाई गई."

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पीआईबी फैक्ट चेक ने बताया कि, "अल्फाबेट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की बारी (बैठक में भाषण देने की) दोपहर के भोजन के बाद आती. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में बैठक में शामिल किया गया था, क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था."

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नीति आयोग ने भी ममता बनर्जी के आरोपों का खंडन किया है. आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया कि हमारे पास 10 अनुपस्थित और 26 प्रतिभागी थे. केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुडुचेरी से लोग अनुपस्थित थे.

बोलने का तय समय खत्म हुआ था, रोका नहीं गया

सुब्रमण्यम ने कहा कि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लंच से पहले बोलने देने का अनुरोध किया था. मैं सिर्फ तथ्य प्रस्तुत कर रहा हूं, कोई व्याख्या नहीं. उनकी ओर से एक बहुत ही स्पष्ट अनुरोध था, क्योंकि आम तौर पर हम अल्फाबेटिकल जाते हैं. पहले आंध्र प्रदेश से शुरू होता है, फिर अरुणाचल प्रदेश होते हुए आगे बढ़ता है.

उन्होंने कहा कि, हमने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवेदन का समायोजन किया. रक्षा मंत्री ने गुजरात से ठीक पहले उन्हें बुलाया और उन्होंने अपना वक्तव्य दिया. प्रत्येक मुख्यमंत्री को सात मिनट आवंटित किए जाते हैं और स्क्रीन के ऊपर सिर्फ एक घड़ी होती है, जो आपको शेष समय बताती है. यह सात से छह, पांच, चार और तीन तक जाता है. उसके अंत में यह शून्य दिखाता है. घड़ी में शून्य दिखाया, इसके अलावा और कुछ नहीं हुआ.

सुब्रमण्यम ने कहा कि, इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि मैं और बोलना चाहती थी, लेकिन मैं अब नहीं बोलूंगी. बस इतना ही था. इसके अलावा और कुछ नहीं था. हम सबने सुना. उन्होंने अपनी बात रखी और हमने सम्मानपूर्वक उनकी बातें सुनीं और नोट किया. मुख्य सचिव ने हिस्सा लेना जारी रखा और वह उनके जाने के बाद भी उपस्थित रहे. मुक्यमंत्री बनर्जी को कोलकाता के लिए उड़ान पकड़नी थी.

सन 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की महत्वाकांक्षा : पीएम मोदी

नीति आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि, "भारत एक युवा देश है. यह अपने कार्यबल के कारण पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा आकर्षण है. हमें अपने युवाओं को एक कुशल और रोजगार योग्य कार्यबल बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए. विकसित भारत 2024 बनाने के लिए कौशल, अनुसंधान, नवाचार और नौकरी आधारित ज्ञान पर जोर देना जरूरी है." 

पीएम मोदी ने कहा कि, ''एनईपी (NEP), मुद्रा, पीएम विश्वकर्मा, पीएम सुविधा जैसी योजनाओं और आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार आदि का उपयोग भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए किया जाना चाहिए.'' 

बैठक में पीएम मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपालों से कहा कि, ''वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाना हर भारतीय की महत्वाकांक्षा है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्य सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि वे सीधे लोगों से जुड़े हुए हैं.'' 


पीएम मोदी ने कहा कि, यह दशक तकनीकी और भू-राजनीतिक बदलावों के साथ-साथ अवसरों का भी है. उन्होंने कहा कि, ‘‘भारत को इन अवसरों का लाभ उठाना चाहिए और अपनी नीतियों को अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए अनुकूल बनाना चाहिए. यह भारत को एक विकसित देश बनाने की दिशा में प्रगति का रास्ता है.''

बैठक 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर केंद्रित थी. इस बैठक का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहभागी संचालन तथा सहयोग को बढ़ावा देना, वितरण तंत्र को मजबूत करके ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है. नीति आयोग की शीर्ष संस्था शासी परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. प्रधानमंत्री नीति आयोग के चेयरमैन हैं.

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