इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है. हमास के लड़ाके लगातार इजरायल पर हमला (Israel-Gaza War) कर रहे हैं और इजरायल भी बदले में फिलिस्तीन को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. ऐसे हालात में दुनिया दो हिस्सों में बंट गई है. कुछ देश इजरायल के समर्थन में खड़े हैं तो कुछ देश फिलिस्तीन को समर्थन कर रहे हैं. ईरान वह देश है, जिसको फिलिस्तीन का समर्थक माना जाता है यहां तक कि उसकी भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. दोनों के बीच जारी संघर्ष के बीच एनडीटीवी ने भारत में ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही से बातचीत कर उनका पक्ष जाना. भारत में ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही ने एक खास इंटरव्यू में एनडीटीवी को बताया कि उनका देश "गर्व से" फिलिस्तीन का समर्थन करता है.
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इजरायल- गाजा युद्ध में क्या है ईरान की स्थिति?
जवाब- फ़िलिस्तीनी 7 दशक से भी ज्यादा समय से इजरायल के क़ब्ज़े में हैं. इस दौरान वहां के लोगों ने अपने जीवन का बलिदान देकर अपने अस्तित्व के अधिकार की रक्षा की है. इसलिए, बिना किसी संदेह के हम गर्व से फिलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन करते हैं. हमारा दृढ़ विश्वास है कि फिलिस्तीनियों के दृष्टिकोण और मांगों को स्वीकार करना विवाद के समाधान की दिशा में पहला कदम होना चाहिए. सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए रंगभेदी शासन को अपने नस्लीय भेदभाव, इस्लामोफोबिया और नाजायज कब्जे को खत्म करना होगा.
तेहरान लंबे समय से हमास का समर्थक रहा है. ईरानी अधिकारी इस बात पर अड़े रहे हैं कि देश की आतंकवादी हमले में कोई भागीदारी नहीं थी, लेकिन जमीनी और समुद्री हवाई हमले से सवाल उठ रहे हैं कि क्या हमास को कुछ मिला था?
जवाब- ईरानी राजदूत ने कहा कि सबसे पहले तो हम हमास के विरोध भरे कृत्य की व्याख्या आतंकवाद के रूप में नहीं करते हैं. हमास एक विरोधी संगठन है, इसीलिए इस मामले में सही शब्द का इस्तेमाल करना जरूरी है. ईरान के राजदूत ने कहा कि हमास की स्वतंत्र क्षमता एक अखंड वास्तविकता है जिसे मुख्यधारा का मीडिया नजरअंदाज करने की कोशिश करता है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि ईरान हमेशा प्रतिरोध की धुरी का समर्थन करता है, लेकिन यह तथ्य हमें अन्य एक्टर्स की निर्णायक शक्ति और एजेंसी को कम आंकने में गुमराह नहीं कर सकता.
यहूदी शासन तीन तथ्यों को छिपाने के लिए इन झूठे आरोपों का प्रचार करता है. पहले तो वह संघर्ष की मुख्य वजह को छिपाने के लिए बाहरी कारकों को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश करता है, जो कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ निरंतर और क्रूर अपराध है. यहूदी उग्रवाद न सिर्फ कब्जे वाली जमीन पर बल्कि पूरे क्षेत्र में हिंसा और अस्थिरता का मुख्य कारण है. राजदूत ने कहा कि वह अपनी अमानवीय विचारधारा और वास्तविकताओं के गलत मूल्यांकन के की वजह से फिलिस्तीन में संघर्ष को बढ़ावा दे सकते हैं. राजदूत ने कहा कि वह स्वतंत्र रूप से रंगभेद और कब्जे के खिलाफ खड़े हमास की जरूरी ताकत को इजरायल नकारने की कोशिश करता है.
अगर हिजबुल्लाह दखल देता है तो लेबनान के साथ इज़राइल की उत्तरी सीमा पर दूसरा मोर्चा खुलने की आशंका है...क्या ईरान उन आशंकाओं को दूर करेगा?
जवाब-मेरा मानना है कि यहूदी शासन संघर्ष के नए मोर्चे खोलने के लिए अनिच्छुक होगा. हिज़्बुल्लाह लेबनान में अहम सैन्य क्षमताओं वाला एक वैध और मान्यता प्राप्त संगठन है, जो देश की रक्षा के लिए लेबनानी सेना के साथ काम कर रहा है. यहूदी शासन इस वास्तविकता को जानता है. वह पहले से हिज़्बुल्लाह की शक्तिओं को जानता है.
पश्चिम ईरान को लेकर सतर्क रहा है...
जवाब-अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा है कि ईरान को सावधान रहना चाहिए. यह युद्ध किस तरफ जा रहा है, क्योंकि पश्चिम और अरब देशों ने इसका पक्ष ले लिया है? अमेरिका और उसके सहयोगी नए संघर्ष मोर्चों के उभरने से बहुत चिंता में हैं क्यों कि वह यहूदी शासन की कमजोरियों को पहचानते हैं.
शनिवार को हमास आतंकवादियों के हमले के दौरान करीब 1,200 इजरायली, विदेशी और दोहरे नागरिक मारे गए. गाजा में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि इजरायल की जवाबी कार्रवाई में 1,417 फिलिस्तीनी मारे गए.. यह इस युद्ध की मानवीय कीमत है... जान चली गई. कोई भी वृद्धि विनाशकारी होगी.
जवाब-साल की शुरुआत के बाद से हताहतों की संख्या में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है. इजरायल ने गाजा के लिए पानी, बिजली, दवा की आपूर्ति में कटौती कर दी है. उन्होंने 1.2 मिलियन से ज्यादा फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़कर दक्षिण गाजा की ओर जाने की चेतावनी दी है. ईरानी राजदूत ने कहा कि गाजा में चल रही मानवीय तबाही का वर्णन करने के लिए किसी को भी उचित शब्द नहीं मिल रहे हैं. इजरायली सरकार फिलिस्तीनियों से गाजा पट्टी को खाली कराने की योजना बना रही है. गाजा में हो रहे नरसंहार को आगे बढ़ाने के लिए, यहूदियों को अपने पाश्विक और आपराधिक कृत्यों को सामान्य और स्वाभाविक बनाने की जरूरत है इसलिए यह बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है कि वे अपने अमानवीय और अविश्वसनीय अत्याचारों में उनका समर्थन हासिल करने के लिए वैश्विक समुदाय को धोखा देने के लिए इतने बड़े झूठ को बढ़ावा देते हैं.
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि हमास के आतंकी हमले के कई कारणों में से एक सऊदी-इज़राइल सामान्यीकरण समझौते को पटरी से उतारना था
जवाब-जैसा कि हमने कहा कि गलत सूचनाओं को रोकने के लिए गाजा में घटनाओं का सही वर्णन जरूरी है और यह ध्यान देने वाली बात है कि हमास एक प्रतिरोध संगठन है, आतंकवादी समूह नहीं.आपके सवाल के संबंध में फिलिस्तीनी मुद्दे पर विचार किए बिना यह देर-सबेर विफल हो जाएगा. भले ही हम मान लें कि ऐसा सामान्यीकरण पहले हो सकता था, लेकिन यह स्थायी और टिकाऊ सौदा नहीं होगा.
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