आर्यन खान ड्रग्स केस (aryan Khan drugs case) में लेनदेन के आरोपों से घिरे और निजी हमले झेल रहे एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े (sameer wankhede) के पिता ने भी आरोपों को लेकर प्रतिक्रिया दी है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की मुंबई इकाई के निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ने सोमवार को कहा कि उनका नाम ज्ञानदेव है न कि दाऊद. जैसा कि एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने दावा किया था. ज्ञानदेव ने कहा कि उनका बेटा महाकाव्य ‘महाभारत' के अभिमन्यु की तरह है जो दुश्मनों से घिरा हुआ है, लेकिन वह अर्जुन की तरह इस ‘चक्रव्यूह' से बाहर आ जाएगा.
एनसीपी नेता पर पलटवार करते हुए समीर के पिता ने कहा कि वो बहुत निचले स्तर की राजनीति कर रहे हैं. मलिक ने दावा किया था कि समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम हैं और उनका असली नाम ‘समीर दाऊद वानखेड़े' है. उन्होंने कहा, यह बिल्कुल झूठ है कि मेरा नाम दाऊद वानखेड़े है. मुझे लगता है कि समीर वानखेड़े के उस जन्म प्रमाण पत्र को जारी करने और हमें बदनाम करने के पीछे मलिक का कुछ दुर्भावनापूर्ण इरादा है. मेरा नाम मेरे जन्म से ही ज्ञानदेव वानखेड़े है और आज भी वही है.
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उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया और यहां तक कि राज्य सरकार के एक विभाग में भी काम किया. यह कैसे संभव है कि उनमें से कोई नहीं जानता कि मेरा नाम ज्ञानदेव नहीं, दाऊद है? अकेले मलिक को संदिग्ध दस्तावेज कैसे मिल गया?'समीर वानखेड़े ने मलिक के जन्म प्रमाण पत्र सहित जाली दस्तावेजों के आरोपों का खंडन कर चुके हैं. समीर ने कहा था कि उनके पिता का नाम ज्ञानदेव है, जो एक आबकारी अधिकारी थे. समीर वानखेड़े के पिता ने दावा किया, ‘‘मेरी पत्नी की छह साल पहले मृत्यु हो गई थी
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उसने एक बार एक हलफनामा तैयार किया था जिसमें उल्लेख किया गया है कि मेरा नाम ज्ञानदेव वानखेड़े है। मेरे पास एक वैध जाति प्रमाण पत्र भी है। और सिर्फ मैं ही नहीं, मेरे रिश्तेदारों के पास भी इसे साबित करने के लिए इसी तरह के दस्तावेज हैं. जब उनसे एनसीबी के एक गवाह द्वारा लेनदेन के आरोपों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अगर समीर वानखेड़े शाहरुख खान से रिश्वत चाहते, तो वह अभिनेता को इसे घर पर देने के लिए कहते.
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उन्होंने कहा, ‘वह उनके (शाहरुख खान के) बेटे (आर्यन खान) को गिरफ्तार नहीं करते और फिर इसकी मांग करते.' गवाह प्रभाकर सैल ने रविवार को दावा किया था कि एनसीबी के एक अधिकारी और कथित तौर पर फरार गवाह केपी गोसावी सहित अन्य ने आर्यन खान को छोड़ने के लिए 25 करोड़ रुपये की मांग की थी.
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सैल ने कहा था कि आर्यन को तीन अक्टूबर को एनसीबी कार्यालय लाने के बाद उन्होंने गोसावी को फोन पर सैम डिसूजा नामक एक व्यक्ति से 25 करोड़ रुपये की मांग करने और मामला 18 करोड़ रुपये पर तय करने के बारे में बात करते हुए सुना था, क्योंकि उन्हें 8 करोड़ रुपये समीर वानखेडे (एनसीबी के जोनल निदेशक) को देने थे.
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