"48% से अधिक कॉर्पोरेट कर्मचारी खराब मानसिक स्थिति में", मुंबई में हुए सर्वे में हुआ खुलासा

नाबालिग बच्चों में ड्रग्स सेवन के बढ़े मामले भी पुलिस और मनोचिकित्सकों के लिए सरदर्द बने हैं. इससे बिगड़ा मानसिक व्यवहार भी कई बार नाबालिगों को अपराध की ओर खींच रहा है.

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नई दिल्ली:

दौड़ती मुंबई (Mumbai) बहुत ज़्यादा तनाव में जी रही है. एक सर्वेक्षण बता रहा है कि मानसिक तनाव के मामलों में 30% की बढ़ोतरी हुई है. आत्महत्या की सोच वाली शिकायतों में 100% की बढ़त देखने को मिली है. सबसे ज़्यादा शिकायतें बिगड़े प्रेम रिश्ते की हैं और इसमें 20 से 22 साल के युवा सबसे ज़्यादा टूट रहे हैं.  48% से अधिक कॉर्पोरेट कर्मचारी भी खराब मानसिक स्थिति में हैं. मुंबई पुलिस भी मुंबईकरों को बचाने के लिए मुहिम से जुड़ी है. मुंबई पुलिस के साथ काम कर रहे आदित्य बिरला एजुकेशन ट्रस्ट की तरफ से यह सर्वे करवाया गया है. 

कोविड काल में मामलों में हुई तेजी से बढ़ोतरी

कोविडकाल के बाद सबसे ज़्यादा 30% मानसिक तनाव के मामले मुंबई में बढ़े हैं.काम, परिवार, स्वास्थ्य और रुपयो पैसों  से जुड़े  तनाव के बीच ज़्यादातर  मामले बिगड़े प्रेम रिश्तों के हैं.18 से 45 की उम्र के लोगों की शिकायतें सबसे ज़्यादा हैं. मानसिक तनाव की कुल शिकायतों में क़रीब 15% मामले आत्महत्य की सोच रखने वाले होते हैं. कोविड के बाद ऐसे कॉल्स में सौ गुना बढ़त हुई है.

पुलिस का क्या कहना है?

जॉइंट सीपी, कानून-व्यवस्था सत्यनारायण चौधरी का कहना है कि मामले बढ़े हैं इसपर पैरेंटल ध्यान भी ज़रूरी है, मानसिक सेहत की सुधार के लिए मुंबई पुलिस भी ज़मीन पर काम कर रही है. नाबालिग बच्चों में ड्रग्स सेवन के बढ़े मामले भी पुलिस और मनोचिकित्सकों के लिए सरदर्द बने हैं. इससे बिगड़ा मानसिक व्यवहार भी कई बार नाबालिगों को अपराध की ओर खींच रहा है.

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मनोचिकित्सक की क्या है राय?

मनोचिकित्सक डॉ अम्बरीश धर्माधिकारी ने कहा कि पहले हम एडल्ट में ये देख रहे थे लेकिन अब स्कूल कॉलेज तक ड्रग्स सेवन के मामले हैं.  ईज़ली मिल रहे हैं इनको. काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ रही है. हिंसात्मक कार्य करते हैं अपराध कर बैठते हैं, बेहद कम उम्र के बच्चे. ये बिलकुल नया है हमारे लिए, चुनौती के साथ डील कर रहे हैं, ऐसे कई मामले पुलिस हमारे पास भेज रही है.

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(अगर आपको सहारे की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं)

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