मुंबई : न महायुति और न MVA ने बनाया उत्तर भारतीय को उम्‍मीदवार, 28 लाख वोटर्स बना और बिगाड़ सकते हैं समीकरण

मुंबई में उत्तर प्रदेश और बिहार से हर जाति और वर्ग के लोग रहते हैं और मुंबई के विकास में योगदान देते हैं. हालांकि उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. 

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मुंबई में उत्तर प्रदेश और बिहार से हर जाति और वर्ग के लोग रहते हैं. (प्रतीकात्‍मक)
मुंबई:

मुंबई (Mumbai) में 35 लाख के करीब उत्तर भारतीय रहते हैं और 28 लाख के करीब मतदाता हैं. मुंबई की सभी 6 लोकसभा सीटों पर यह मतदाता परिणाम प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. हालांकि दोनों प्रमुख गठबंधनों को देखें तो न तो महायुति और न ही महा विकास आघाड़ी ने अभी तक एक भी उत्तर भारतीय को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में उम्‍मीदवार बनाया है. खासकर बीजेपी की बात करें तो साल 2014 से उत्तर भारतीय मतदाता बीजेपी के साथ हैं, लेकिन बीजेपी ने भी एक भी उत्तर भारतीय को उम्मीदवार नहीं बनाया है. हालांकि एक सीट गुजराती और एक सीट राजस्‍थानी को दी जा चुकी है. 

माना जाता है कि मुंबई में उत्तर भारतीय समाज जिसके साथ होता है केंद्र हो या राज्य सत्ता उसी की होती है. कभी कांग्रेस के साथ खड़े रहने वाला उत्तर भारतीय समाज आज बीजेपी के साथ खड़ा है. इसलिए केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी की सरकार है, लेकिन बदले में मुंबई में समाज के एक भी नेता को उम्मीदवारी नहीं मिली है. इसे लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. 

जौनपुर निवासी और मुंबई में अखंड राजपुताना सेवासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि इसके लिए उत्तर भारतीय नेता खुद जिम्मेदार हैं. उन्‍होंने कहा कि हमारे समाज के जो नेता हैं, वो चाहे किसी भी जाति और वर्ग के हों उनकी लालसा पार्टी पद तक सीमित है. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि जब हमारा वोट प्रतिशत ज्यादा है, हमारी जनसंख्या ज्यादा है तो हमारा प्रतिनिधित्व भी उस तरह से होना चाहिए. समाज के अंदर इसकी चर्चा है और समाज इसके लिए चिंतित है. 

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मुंबई में उत्तर प्रदेश और बिहार से हर जाति और वर्ग के लोग रहते हैं और मुंबई के विकास में योगदान देते हैं. हालांकि उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. 

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समाज दुखी, लेकिन BJP से अब भी उम्‍मीद : कौशिक 

मुंबई में उत्तर भारतीयों की सबसे बड़ी संस्था है उत्तर भारतीय संघ. संघ के कार्यकारिणी सदस्य और पत्रकार विजय सिंह कौशिक का कहना है कि समाज इससे दुखी जरूर है, लेकिन बीजेपी से अब भी उम्मीद है. 

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कौशिक ने कहा कि समाज इस बात को लेकर बहुत दुखी है कि दो राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से किसी भी उत्तर भारतीय को उम्मीदवार नहीं बनाया गया है, जबकि अन्य समाज के जिनकी आबादी तुलना में कम है, उन्‍हें उम्‍मीदवारी दी गई है. इसे लेकर उत्तर भारतीयों में आक्रोश है. 

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साथ ही उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस के साथ समस्या है कि ज्यादातर कांग्रेस के नेता बीजेपी में आ गए हैं. इसलिए कांग्रेस के पास उत्तर भारतीय के नाम पर ज्यादा कुछ बचा नहीं है. अब सारी उम्मीद बीजेपी से है और अभी ये उम्मीद टूटी नहीं है. कुछ सीटों पर उम्मीदवार आने बाकी हैं, इसलिए उत्तर भारतीय समाज को उम्मीद है कि बीजेपी उनके साथ न्याय करेगी. 

सबसे बड़े उत्तर भारतीय नेता को जौनपुर से टिकट 

हालांकि भाजपा ने मुंबई के सबसे बड़े उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है, लेकिन मुंबई से नहीं बल्कि जौनपुर से. महाराष्ट्र में बीजेपी के चुनाव प्रभारी दिनेश शर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उत्तर प्रदेश से चुनकर आते हैं और यह उत्तर भारतीयों के लिए बड़ा गिफ्ट है. 

मुंबई की 6 लोकसभा सीटों में से अब उत्तर पश्चिम और उत्तर मध्य सीट पर ही उत्तर भारतीयों की उम्मीद बची है. उत्तर पश्चिम के लिए पूर्व सांसद संजय निरुपम जोर लगाए हुए हैं, लेकिन महा विकास आघाड़ी में शिवसेना UBT ने इस पर पहले से ही अपना उम्मीदवार उतार दिया है, जिसे लेकर निरुपम नाराज हैं और कांग्रेस छोड़ सकते हैं. हालांकि सवाल है कांग्रेस छोड़कर क्या एकनाथ शिंदे सेना के साथ जाएंगे और क्या उन्हें एकनाथ शिंदे अपनी पार्टी का टिकट देंगे?

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