दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई जारी है. सिसोदिया की ईडी मामले में दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही है. ईडी ने कहा कि मनीष सिसोदिया की षड्यंत्र रचने, पॉलिसी बनाने, और लागू कराने में मुख्य भूमिका रही है. ईडी ने कहा कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) के मुखिया थे और कैबिनेट के बारे में उनको सारी जानकारी थी, पॉलीसी के बदलाव में मुख्य भूमिका में थे. पॉलिसी में फायदा पहुंचाने के बदले घूस ली गई.
प्रवर्तन निदेशालय ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक व्यक्ति को सिर्फ दो रिटेल लाइसेंस मिल सकता था, और इसके लिए लॉटरी सिस्टम को अपनाया जाना था, सभी ज़ोन में 27 दुकानें थी. पॉलिसी में बदलाव के बारे में जीओएम, या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी नहीं थी. अगर प्रोसेस के तहत बदलाव किया गया होता, तो इसके बारे में जीओएम या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी होती. कोई भी पॉलिसी छुप कर नहीं बनाई जाती है, दिन की रौशनी में सबकी जानकारी में पॉलीसी बनाई जाती है.
सिसोदिया के वकील की दलीलों का विरोध करते हुए ईडी के वकील ने दलील दी कि आरोप लगाया गया, जिन अधिकारियों के बयानों पर भरोसा किया गया वो सीधे एलजी के नियंत्रण में हैं, लेकिन जब उन अधिकारियों की एसीआर जो संबंधित मंत्री और सीएम द्वारा किए जाते हैं और उन्हें 10 में 10 नंबर इन्ही मंत्री और सीएम द्वारा दिया गया है. ईडी ने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी की सलाह मानी गई, तो उसके अनुसार सरकारी दुकानों को ज़्यादा लाभ पहुंचता.
ईडी ने कहा कि होलसेल लाइसेंस प्राइवेट पार्टी को देने को लेकर जीओएम में कोई चर्चा नहीं हुई थी. 9 फरवरी 2021 और उसके बाद हुई जीओएम बैठक में 5% से 12% प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाने और बड़ी कंपनियों को होल सेल लाइसेंस देने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी. कोई भी पॉलीसी टेलीपैथिकली नहीं बनाई जाती है, सिर्फ दिमाग में कोई पॉलिसी नहीं बनाई जाती है. लाइसेंस फीस बढ़ने से प्रॉफिट मार्जिन बढ़ेगा, इसका कोई लॉजिक नहीं समझ नहीं आता है. जीओएम की बैठक में लाइसेंस फीस और प्रॉफिट मार्जिन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.
ईडी ने कहा कि आबकारी पॉलिसी को सीक्रेसी में बनाया गया. अगर पॉलिसी सही थी, तो जीओएम के लिए ईमेल कैम्पेन क्यों चलाया गया. ईमेल कैम्पेन के लिए सिसोदिया ने अलग से षड्यंत्र रचा. अगर लिकर पॉलिसी सही थी, तो सिसोदिया द्वारा पॉलिसी के पक्ष में ईमेल क्यों प्लांट कराए गए? ये ईमेल अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के माध्यम से प्लांट कराए गए थे.सिसोदिया ने आबकारी विभाग के मेल के पते पर ईमेल प्लांट करवाए, जो वही पता था जहां पॉलिसी पर सार्वजनिक टिप्पणी मांगी गई थी.
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