मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के जुलूस के दिन कुछ इलाकों में दंगे भड़के थे. कई लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा. सरकार ने दंगों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया है. दंगा पीड़ितों की शिकायत पर हिन्दू-मुस्लिम दोनों पक्षों के लोगों को नोटिस जारी किया गया है. जिन्हें नोटिस मिला है उसमें एक 12 साल का बच्चा भी है. अगर फैसले पर अमल हुआ, तो शिकायतकर्ता को 2 लाख 90 हजार चुकाना होगा.
दरअसल, अप्रैल में दंगों के फौरन बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, जिन्होंने पत्थर चलाया है. संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. उन्हें दंडित तो किया ही जाएगा, लेकिन सार्वजनिक हो या निजी संपत्ति इसकी वसूली उनसे की जाएगी.10 अप्रैल को खरगोन में दंगे भड़के कई लोगों के मकान-दुकान जला दिये गये.
मध्य प्रदेश प्रिवेंशन एंड रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत स्थापित ट्रिब्यूनल में शिकायतें आने लगीं. 25 अगस्त 2022 को एक महिला की शिकायत पर दावा आयुक्त ने 12 साल के बच्चे को भी नोटिस भेजा, दावा 2 लाख 90,000 का था. हालांकि, बच्चे के परिजनों का कहा था कि दंगों के वक्त वो घर पर ही था. उसकी मां रानू ने एनडीटीवी से कहा वो 12 साल का बच्चा है उसे नोटिस आया तो वो डर गया, पुलिस की दहशत से वो बीमार पड़ गया ... जब पथराव हो रहा था तब हमलोग घर में थे सो रहे थे.
बच्चे के पिता कालू खान मजदूरी करते हैं, उन्हें भी 4 लाख भरने का नोटिस मिला है. कालू ने कहा- 'मैं घर गया हम लोग खाना खाकर सो गये ... मेरा बच्चा नाबालिग है मुझे भी 4,80,000 का नोटिस मिला है, जबकि हम सारे लोग घर पे थे, हमें इंसाफ चाहिये.'
बच्चे के मां-बाप ने ने हाईकोर्ट की शरण ली, लेकिन कोर्ट ने उन्हें दावा प्राधिकरण के सामने ही पक्ष रखने को कहा. फैजान के वकीलों का कहना है कि प्राधिकरण ने उनका दावा ये कहकर खारिज कर दिया कि मामला दीवानी है. अगर ये एक आपराधिक मामला होता तो बच्चे को किशोर न्याय अधिनियम का संरक्षण मिलता. यहां, यह जुर्माने के बारे में है, न कि सजा के बारे में. पैसे उसके माता-पिता से वसूल किए जाएंगे क्योंकि वे उसके लिए जिम्मेदार हैं. बच्चे के वकील अशहर वारसी ने कहा क्लेम ट्रिब्यूनल ने कहा ये सिविल रिकवरी है, ये अजीब है क्योंकि एक्ट क्रिमिनल प्रोसिड्यूर फॉलो कर रहे हैं, क्लेम अवॉर्ड भी हो रहे हैं.
दावा प्राधिकरण के फैसले को लेकर सत्ता और विपक्ष की अपनी दलीले हैं. बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा अगर ये बच्चा संलिप्त पाया गया है तो उसको सिविल कानून के तहत नोटिस दिया गया है. वो कानून के माध्यम से जवाब दे सकता है. ग्रेस की आदत है कि वो आरोपी के पक्ष में खड़े हो जाते हैं कोई सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता तो नोटिस उसे दिया गया है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा लगता है कि क्लेम ट्रिब्यूनल भी बीजेपी का कार्यकर्ता है, यह नोटिस देकर क्लेम ट्रिब्यूनल ने अपने चरित्र पर खुद सवालिया निशान लगा लिया है कि उसने किसके वशीभूत होकर इस रिपोर्ट को लिखा है और नोटिस दिया है.
खरगोन दंगों के बाद क्लेम ट्रिब्यूनल को निर्धारित समय में 343 प्रकरण मिले थे, जिसमें सिर्फ 34 मामलों में आरोपी ज्ञात थे, 309 में अज्ञात. दंगों के आरोप में 220 लोग गिरफ्तार हुए थे जिसमें 200 अभी भी जेल में हैं. ट्रिब्यूनल ने अभी तक 6 मामले में 50 आरोपियों से 7.46 लाख रु. की वसूली के नोटिस दिये हैं. जिसमें 4 मामलों में मुआवजा हिन्दुओं को मिलेगा, 2 में मुस्लिम परिवारों को.
इस ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट के अधिकार और शक्तियां होती है. क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश केवल उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है. 15 दिन के अंदर पैसे नहीं जमा करने पर 6 फीसद का ब्याज लगेगा जरूरत पड़ने पर प्रशासन आरोपियों की संपत्ति नीलाम करके भी वसूली कर सकता है.
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