कर्नाटक में छात्राओं की बदलेगी यूनिफॉर्म? क्या स्‍कर्ट की जगह लेगी सलवार सूट और पैंट

आयोग के मुताबिक, राज्य में अलग-अलग जगहों से अभिभावकों और छात्राओं से बातचीत के बाद जो इनपुट मिला उससे पता चला है कि खासकर मिडिल और हाई स्कूल की लड़कियां स्कर्ट पसंद नही करती हैं. 

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कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 शिक्षा संस्थानों को ड्रेस कोड तय करने की इजाजत देता है. (प्रतीकात्‍मक)
बेंगलुरु  :

कर्नाटक में इन दिनों स्कूल में लड़कियों के ड्रेस कोड में बदलाव का मामला चर्चा में है. राज्‍य के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर लड़कियों की यूनिफॉर्म में बदलाव करने की सिफारिश की है. आयोग चाहता है कि स्कूल की छात्राओं को स्कर्ट की जगह सलवार जम्पर और पैंट ड्रेस के तौर पहनने की इजाजत दी जाए. इस पर सरकार का कहना है कि रिपोर्ट की जांचकर छात्रों के हित मे फैसला लिया जाएगा. आयोग के अध्‍यक्ष नागन्‍ना गौड़ा ने कहा कि हमने शिक्षा सचिव को लिखा है वो इस पर विचार कर रहे हैं. हमारी सलाह है स्कर्ट की जगह सलवार सूट और पैंट को तरजीह दी जाए. 

आयोग के मुताबिक, राज्य में अलग-अलग जगहों से अभिभावकों और छात्राओं से बातचीत के बाद जो इनपुट मिला उससे पता चला है कि खासकर मिडिल और हाई स्कूल की लड़कियां स्कर्ट पसंद नही करती हैं. 

गुलबर्गा के महिला और बाल विकास विभाग के उप निदेशक ने भी स्कर्ट की जगह सलवार और पैंट की वकालत की है. इसे लेकर विस्तृत रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंप दी गई है. 

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कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगरप्पा ने कहा कि अभी रिपोर्ट मिली है, ये संवेदनशील मामला है. अभी हमने रिपोर्ट देखी नहीं है. मुझे पहले रिपोर्ट देख लेने दीजिए फिर हम छात्रों के हित में जो भी बेहतर होगा वो फैसला लेंगे. 

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कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983  शिक्षा संस्थानों को ड्रेस कोड तय करने की इजाजत देता है. ऐसे में शिक्षा संस्थानो को आयोग की सिफारिश पर ऐतराज है उन्हें लगता है कि आयोग ने शैक्षिक संस्थानों को भरोसे में नही लिया.  

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एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ प्राइमरी एंड सैकंडरी स्‍कूल्‍स इन कर्नाटक के महासचिव डी शशिकुमार ने कहा कि हमने शिक्षा आयुक्त से बात की है. उन्होंने हमें भरोसा दिलाया है कि यह सिर्फ रिकमेंडेशन है, कानून नहीं. 

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कर्नाटक में ड्रेस कोड को लेकर ही हिजाब विवाद शरू हुआ था, जिस पर जमकर राजनीति हुई. ऐसे में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ड्रेस कोड में बदलाव को लेकर फिलहाल जल्दबाजी में नहीं है, पहले वो अपने 5 चुनावी वादों को पूरा करने की जद्दोजहद में लगी है. 

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