भारत की न्याय व्यवस्था अपनी सीमाओं से बाहर भी भारतीयों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करती है : जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्य कांत अमेरिका के सिएटल में वॉशिंगटन तेलंगाना एसोसिएशन (WTA)  द्वारा आयोजित समारोह में बोल रहे थे...

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज और भावी CJI जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था अपनी सीमाओं से बाहर भी भारतीयों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करती है. भारतीय न्यायपालिका ना केवल देश में बल्कि प्रवासी भारतीयों की संपत्ति, उत्तराधिकार, वैवाहिक विवाद जैसी कानूनी समस्याओं के समाधान को लेकर भी मुखर रहती है. जस्टिस सूर्य कांत अमेरिका के सिएटल में वॉशिंगटन तेलंगाना एसोसिएशन (WTA)  द्वारा आयोजित समारोह में बोल रहे थे.

इस मौके पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि हम भले ही भारत से दूर हों, पर हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य और हमारी एकता हमें भारत से जोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि  3 करोड़ से अधिक की संख्या वाला भारतीय प्रवासी समुदाय आज वैश्विक नेतृत्व, नवाचार और सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुका है. चाहे बात सिलिकॉन वैली की हो या वॉल स्ट्रीट की, प्रयोगशालाओं की हो या विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों की- भारतीयों ने न केवल योगदान दिया है, बल्कि नेतृत्व किया है.

उन्होंने कहा कि प्रवासियों की सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि उस सांस्कृतिक एकता और पहचान में निहित है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी संजोया गया है. जस्टिस सूर्यकांत ने सिएटल में भारतीय समुदाय की विशेष भूमिका  को लेकर ग्रेटर सिएटल क्षेत्र में बसे भारतीयों की तकनीकी विशेषज्ञता, सांस्कृतिक मूल्य और सामुदायिक भावना की सराहना की जिसने त्योहारों, कार्यक्रमों और सेवा कार्यों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है.

संवैधानिक मूल्यों के महत्व पर बोलते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कि भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाएं जैसे न्यायपालिका, न केवल भारत में बल्कि प्रवासी भारतीयों के लिए भी गर्व का विषय हैं. न्यायपालिका की भूमिका को ‘संविधान की आत्मा का रक्षक' बताते हुए, उन्होंने  कहा कि यह संस्थान समानता, भाईचारा और मानव गरिमा जैसे मूल्यों की रक्षा करता है .

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारतीय समुदाय को अपनी जड़ों से जुड़े रहकर, समावेशिता और न्याय के मूल्यों को आगे बढ़ाते हुए दुनिया के सामने भारत की सांस्कृतिक और संवैधानिक विरासत का प्रतिनिधित्व करना चाहिए .

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