न्यायपालिका किसी एक आदेश से संचालित नहीं होती : विदाई समारोह में बोले CJI एनवी रमणा

चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि न्यायपालिका मीडिया में अपनी बातें नहीं रखती है. मीडिया न्यायपालिका की बातें आम जनता तक पहुंचाता है. मेरी कोशिश जनता तक सिर्फ न्याय पहुंचाने तक ही नहीं रही, बल्कि जनता को जागरूक करने के लिए भी रही है.

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नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा शुक्रवार को रिटायर हो गए. विदाई भाषण के दौरान सीजेआई ने मार्टिन लूथर किंग को याद करते हुए कहा कि जजों का जीवन कई चुनौतियों से भरा होता है. लोगों ने काफी कुछ कहा, लेकिन हमारा परिवार चुप रहा, क्योंकि सत्य की विजय होती है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका किसी एक आदेश से संचालित नहीं होती है, सदियां उसे सिंचित करती है.

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सीजेआई ने कहा कि जब आप एक व्यक्तिगत जज की बात करते हैं तो एक खिलाड़ी से हर गेंद को 6 रन के लिए हिट करने की उम्मीद की जाती है. हालांकि केवल खिलाड़ी ही जानता है कि पिच और क्षेत्ररक्षकों की शैली को देखते हुए हर गेंद से कैसे निपटना है और कभी-कभी कोई स्कोर नहीं भी हो सकता है. हर सप्ताह के अंत में मुझे लोगों से मिलने और बात करने का विस्तृत अनुभव हुआ.

चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि न्यायपालिका मीडिया में अपनी बातें नहीं रखती है. मीडिया न्यायपालिका की बातें आम जनता तक पहुंचाता है. मेरी कोशिश जनता तक सिर्फ न्याय पहुंचाने तक ही नहीं रही, बल्कि जनता को जागरूक करने के लिए भी रही है. उन्होंने कहा कि मैं अपने बारे में बोले गए अच्छे शब्दों के लिए आभार व्यक्त करने के लिए शब्दों की तलाश कर रहा हूं. मैं यहां होने के लिए सभी को धन्यवाद देता हूं.

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सीजेआई ने कहा कि मेरे जीवन का सफर आंध्र प्रदेश के पोन्नावरम जिले से शुरू हुआ, जहां बिजली और सड़कें नहीं थीं. मैंने पहली बार बिजली देखी थी, जब मैं 12 साल का था. हम कीचड़ भरी सड़कों पर चलते हुए स्कूल पहुंचते थे. शिक्षकों द्वारा मुझे दी गई शिक्षा के सार ने मुझे नैतिक शक्ति विकसित करने में मदद की.

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उन्होंने कहा कि इस कठिन यात्रा ने मुझे दिल्ली पहुंचा दिया. इसका अधिकांश भाग मीठे से अधिक खट्टा था. मुझे भी इमरजेंसी में ज्यादतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा और मैंने एक शैक्षणिक वर्ष भी खो दिया. सीजेआई ने कहा कि पहली पीढ़ी के वकील होने के नाते, मैंने महसूस किया कि कड़ी मेहनत के बिना सफलता का कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

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चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने हमेशा अस्वीकृति को ईश्वर के निर्देश के रूप में स्वीकार किया और अपनी ईमानदारी को बरकरार रखा. कभी-कभी जीवन आपको डराता है, लेकिन आपको याद रहता है कि आप एक उत्तरजीवी नहीं, बल्कि एक उपलब्धि हासिल करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि जज के रूप में पदोन्नत होना, मेरे जीवन का सम्मान रहा है. एक बार जब मैं जज बन गया, तो मैंने अपना दिल और दिमाग इसे दे दिया. मैं न्यायपालिका के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया हूं. हमें जांच और मेरे परिवार की तरह साजिश का सामना करना पड़ा और मैंने चुप्पी साध ली. अंतत: सत्य की ही जीत होगी.

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वहीं देश के अगले होने वाले CJI यू यू ललित ने भरोसा दिया कि केसों की लिस्टिंग की समस्या को दूर करेंगे. केसों की जल्द सुनवाई के लिए और मेंशन के लिए योजना तैयार करेंगे. उन्होंने कहा कि सुनिश्चित करेंगे कि पूरे साल कम से कम एक संविधान पीठ बैठे और चले.

सीजेआई रमणा के विदाई समारोह में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जज पूरे समय जजमेंट सुनाते हैं, लेकिन बार उनके रिटायरमेंट के दिन फैसला सुनाती है. आज खचाखच भरा सभागार अपना फैसला सुना रहा है कि सब आपको कितना प्यार करते हैं, आप कितने लोकप्रिय हैं. आपने कोर्ट के इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर सरकार और अन्य हितधारकों से सार्थक बातचीत कर अपनी मैनेजिंग और एक्जीक्यूटिव स्किल का लोहा मनवाया है. विनम्रता और सहृदयता आपकी पहचान है.

तुषार मेहता ने कहा कि भारत में जजों की कुल संख्या का 1/3 वर्तमान कॉलेजियम और मिशन मोड द्वारा भरा गया था, जिसमें CJI  यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत करते थे कि नियुक्तियां समय पर हों. देश भर में न्यायिक बुनियादी ढांचे के लिए CJI का उत्साह रहा है.

वहीं SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि जस्टिस रमणा 22 साल की उम्र में पत्रकार हुए और 25 साल में वकील. वो राजनीति में भी जाना चाहते थे, उनके नहीं जाने से राजनीति का नुकसान ही हो गया. अगर ये राजनीति में होते तो वहां भी प्रधानमंत्री होते. जस्टिस रमणा ने कई राजनीतिक मामलों में न्याय प्रक्रिया के जरिए अपना स्पष्ट मंतव्य और जनहित के प्रति अपने समर्पण का मुद्दा रखा है. फ्रीबीज मामले में उन्होंने जनता के पैसे के प्रति चिंता जताई और समुचित इंतजाम का रास्ता प्रशस्त किया है.