भारत को भविष्‍य के युद्ध स्‍वदेशी हथियार प्रणाली के साथ लड़ने को तैयार रहना होगा : यूक्रेन संकट पर सेना प्रमुख

सेना प्रमुख ने कहा कि मौजूदा रूस-यूक्रेन संधर्ष से कई सबक सीखे जा सकते हैं. इस संकट ने दिखाया है कि युद्ध किसी भी समय हो सकता है और हमें इनके लिए तैयार रहना होगा.

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नई दिल्‍ली:

रूस-यूक्रेन संकट के बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) ने कहा है कि मौजूदा संकट का भारत के लिए सबक यह है कि हमें स्‍वदेशी हथियार प्रणाली (Indigenous weapon systems)और इस दिशा में उठाए गए कदमों के साथ भविष्‍य के युद्ध लड़नेके लिए तैयार रहना होगा. यूक्रेन संकट के भारत के लिए सबक के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने न्‍यूज एजेंसी ANI से कहा,  'सबसे बड़ा सबक यह है कि हमें स्‍वदेशी हथियारों के साथ भविष्‍य के युद्ध के लिए तैयार रहना होगा और रक्षा क्षेत्र में 'आत्‍मनिर्भर भारत' की दिशा में तत्‍परता से और कदम उठाने होंगे. ' सेना प्रमुख के यह कमेंट भारतीय सशस्‍त्र बलों की ओर से रूस और यूक्रेन,दोनों से कलपुर्जों और डिफेंस सिस्‍टम्‍स की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के मद्देनजर आई है जो लंबे समय से भारत को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं. जनरल नरवणे ने कहा कि इस संकट ने बताया है कि युद्ध किसी भी समय हो सकता है और भारत को इनके लिए तैयार रहना होगा. 

उन्‍होंने कहा कि मौजूदा रूस-यूक्रेन संधर्ष से कई सबक सीखे  जा सकते हैं. इस संकट ने दिखाया है कि युद्ध किसी भी समय हो सकता है और हमें इनके लिए तैयार रहना होगा. गौरतलब है कि इस माह की शुरुआत में वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल संदीप सिंह ने  कहा था कि रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारतीय वायु सेना (आईएएफ) पर खास प्रभाव नहीं पड़ेगा और भारत के दोनों देशों के साथ संबंध मजबूत हैं. हालांकि उन्होंने कहा था कि भारतीय वायु सेना को रूस से भारत को रक्षा उपकरणों के लिए कल-पुर्जे प्राप्त करने में एक या दो महीने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. लगभग 70 प्रतिशत भारतीय रक्षा उपकरण रूस के हैं.रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य हमला शुरू किया था, अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने इस हमले के बाद रूस पर कड़े आर्थिक एवं अन्य प्रतिबंध लगाए गए हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारतीय वायु सेना पर कोई असर पड़ेगा, सिंह ने कहा था, ‘‘चीजें अभी सामने आ रही हैं] हमारी स्थिति बहुत मजबूत हैं और दोनों देशों के साथ हमारे संबंध (मजबूत) रहे हैं और आपने यह देखा है.हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि कुछ मुश्किलें होंगी, लेकिन मुझे लगता है कि इनसे हम पर बहुत असर नहीं पड़ना चाहिए. मुझे भरोसा है कि इसके कारण हम पर खास असर नहीं पड़ेगा.''उन्होंने कहा था कि भारतीय वायुसेना कलपुर्जों और उपकरणों के शत-प्रतिशत स्वदेशीकरण का लक्ष्य लेकर चल रही है. उन्होंने कहा, ‘‘इसे 100 प्रतिशत की सीमा तक पहुंचने में समय लगेगा.'' (भाषा से भी इनपुट)

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