Maharashtra water crisis: महाराष्ट्र में पानी का संकट गहराता जा रहा है. राज्य के विदर्भ इलाके का अमरावती (Amravati) हो या पश्चिम महाराष्ट्र का नासिक (Nashik), पानी की समस्या सभी जगह विकराल रूप धारण करती जा रही है. आलम यह है कि कहीं कुएं सूखने के कारण लोग जंगलों में जाकर गंदा पानी ला रहे हैं तो कहीं टैंकरों से पानी की सप्लाई होने पर लोग आपस में एक-एक मटका पानी के लिए भिड़ते हुए आ रहे हैं. एक तरफ जहां संकट बढ़ रहा है वहीं दूसरी तरफ सरकार की ओर से इसे दूर करने की कोई पहल होती दिखाई नहीं दे रही है.
प्रदेश के विदर्भ इलाके के अमरावती जिले में कुएं सूख चुके हैं. इन कुओं में अब नीचे झिरों से पानी नहीं आ रहा, बल्कि इनको टैंकरों से भरा जा रहा है. टैंकर कुओं में पानी भरते हैं और फिर बड़ी तादाद में लोग रस्सियों के सहारे बाल्टियों से पानी खींचकर निकालते हैं. पानी के लिए मारामारी मची रहती है. यह हालात महाराष्ट्र में पानी के गहरे संकट को बखूबी स्पष्ट कर देते हैं.
अमरावती के मेलघाट क्षेत्र में कुओं में बेहिसाब रस्सियों से बाल्टियां लटकी पड़ी हैं. पानी के लिए भीड़ लगी रहती है और उनमें लड़ाई भी होती रहती है. महज एक-एक बाल्टी पानी के लिए संघर्ष चलता है. दो टैंकरों के माध्यम से 1500 की आबादी वाले इस गांव को जल आपूर्ति करने के लिए सूखे कुओं में पानी डाला जाता है.
पानी के लिए चलने वाली प्रतिस्पर्धा में कमजोर और बुज़ुर्ग पीछे रह जाते हैं और उन्हें बिना पानी लिए लौटना पड़ता है. एक स्थानीय बुजुर्ग ने कहा कि ‘'लोग कुओं से पानी खींचने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं, झगड़ते हैं, हम बूढ़े लोग क्या करेंगे? हमें पानी नहीं मिल पाता है. बच्चे आस-पड़ोस से जाकर पानी मांगकर पीते हैं.''
एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि, ‘'गंदा पानी पीने के बाद बीमारियां बढ़ रही हैं. यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है, तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई ढंग की सड़क नहीं है.'' एक ग्रामीण ने कहा कि ‘'हमारी समस्या का कोई हल नहीं हो रहा है. यहां ना पक्की सड़क है, ना बिजली है और ना ही पानी है. पानी का टैंकर भी समय पर नहीं आता है और कुएं का पानी भी गंदा है. पानी लेने के लिए हमें काफी दूर जाना पड़ता है.‘'
नासिक के ग्रामीण इलाकों में भी पानी का विकराल संकट है. हालत इतनी खराब है कि लोगों को पांच किलोमीटर तक चलकर जंगल से पानी लाना पड़ रहा है. लोग जंगल में मिलने वाला गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. मुंबई से कुछ सौ किलोमीटर दूर नासिक के नजदीक स्थित पिंपलपाड़ा गांव इन गंभीर हालात का सामना कर रहा है.
गांव का कुआं सूख चुका है. तीखी धूप में महिलाएं, छोटे बच्चे, चार से पांच किलोमीटर तक मटका लेकर पैदल जाते हैं. वे इसी तरह रोज जंगल जाकर पानी लाने के लिए मजबूर हैं. पानी गंदा है, पर उनके पास प्यास बुझाने के लिए और कोई चारा नहीं है. एक ग्रामीण ने कहा कि ‘'हमारे गांव में कुआं सूख गया है. हमारे गांव में सड़क भी नहीं है. हमें रोज पहाड़ी रस्ते से कई किलोमीटर पैदल चलकर रोज पानी लाना पड़ता है.''
महाराष्ट्र के कई हिस्सों में महीनों से पानी की किल्लत है. बिजली संकट और कुछ हिस्सों में बदहाल सड़कें भी पानी की आपूर्ति में बाधक बनी हुई हैं.
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