"राज्यपाल सफाई मांगें, तो CM जवाब देने को बाध्य, लेकिन गवर्नर भी सत्र को नहीं रोक सकते" : पंजाब सरकार बनाम गवर्नर मामले में SC

Punjab Government vs Governor: सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की विधानसभा का सत्र बुलाने से इनकार करने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार के बीच गतिरोध जारी है.
नई दिल्ली:

पंजाब के राज्यपाल बीएल पुरोहित के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया  है. मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुआई वाली सरकार ने बजट सत्र के मुद्दे पर विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह किया था. राज्यपाल के इनकार करने पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इस मामले की सुनवाई CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच कर रही है. सीजेआई ने कहा कि जब कैबिनेट विधानसभा सत्र बुलाने को कह रही हो, तो राज्यपाल को ऐसा करना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण पर मुख्यमंत्री जवाब देने को बाध्य हैं.

सीजेआई ने कहा- 'जब कैबिनेट विधानसभा सत्र बुलाने को कह रही हो, तो राज्यपाल को ऐसा करना चाहिए.' इसपर एजी तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने कभी मना नहीं किया. वह कानूनी सलाह ले रहे थे. उन्होंने सलाह ली. अब सत्र बुलाया जा रहा है. राज्यपाल ने अपने पत्र में किसी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया. अगर ऐसी प्रवृत्ति पर लगाम नहीं लगी तो इसके दुष्परिणाम होंगे. यह नहीं कहा जा सकता कि मुझे लोगों ने चुना इसलिए किसी संवैधानिक संस्था को कोई जवाब नहीं दूंगा.

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा-' सीएम के ट्वीट और पत्र का लहजा और तेवर अवांछित था. संवैधानिक पदाधिकारियों में संवाद के संदर्भ में संवैधानिक बातचीत के लिए मर्यादा की भावना और परिपक्वता होनी चाहिए.' कोर्ट ने कहा, 'लोकतांत्रिक राजनीति में राजनीतिक मतभेद स्वीकार्य हैं. इसके स्तर को नीचे तक जाने की अनुमति दिए बिना इसे परिपक्व तरीके से सुलझाया जाना चाहिए.'

Advertisement

अदालत ने कहा कि जब तक इनका पालन नहीं किया जाता है, तब तक संवैधानिक मूल्यों का स्थान खतरे में रहेगा. यह अकल्पनीय है कि बजट सत्र आयोजित नहीं किया गया है. हम आशा करते हैं कि परिपक्व स्टेट्समैनशिप दिखाया जाएगा.'

Advertisement


दरअसल, 22 फरवरी को पंजाब कैबिनेट ने बजट सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी. अभी तक राज्यपाल ने बजट सत्र पर नहीं कोई जवाब नहीं दिया था. 23 फरवरी को राज्यपाल ने कहा था कि वह कानूनी राय लेंगे. इसी विवाद को लेकर पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.

Advertisement

पंजाब सरकार ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से तीन मार्च से बजट सत्र बुलाने का अनुरोध किया था. पंजाब सरकार के वकील सिंघवी से पहले सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आज राज्यपाल ने यह आदेश पारित किया है कि सत्र बुलाया जा रहा है.

Advertisement

पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- 'हम इसलिए आए हैं, क्योंकि राज्यपाल ने कुछ बयानों और शिकायतें के आधार पर सत्र बुलाने से पहले कानूनी सलाह लेने की बात कह रहे थे. हम जब सुप्रीम कोर्ट आए तो अब कह रहे हैं कि सत्र बुलाया जा रहा है.' 

सिंघवी ने आगे कहा, 'राज्यपाल कैबिनेट की सलाह पर चलते हैं, लेकिन उन्होंने पहले कैबिनेट की सलाह की उपेक्षा की. अब कह रहे हैं कि 3 मार्च से सत्र बुलाया जाएगा. राज्यपाल को संविधान के हिसाब से काम करना चाहिए.' सिंघवी ने कहा, 'अगर सीएम ने यह कह दिया कि उन्हें 3 करोड़ पंजाबियों ने चुना है, तो क्या राज्यपाल सत्र बुलाने से मना कर देंगे. संविधान को हाईजैक कर लेंगे.'  सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि सीएम ने आधिकारिक पत्राचार में निचले स्तर की भाषा का इस्तेमाल किया. मेहता ने राज्यपाल और सीएम के बीच हुए पत्राचार के कुछ हिस्से पढ़े.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'जहां एक ओर राज्य का प्रशासन लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मुख्यमंत्री को सौंपा जाता है. दूसरी ओर संवैधानिक प्राधिकारी के रूप में राज्यपाल को सरकार के मार्गदर्शन और परामर्श देने का कर्तव्य सौंपा जाता है. ये बदले में सामूहिक जिम्मेदारी देता है.' अदालत ने कहा, 'कानून के स्पष्ट बयान को देखते हुए इसमें संदेह का कोई तरीका नहीं हो सकता है कि सदन बुलाने के लिए राज्यपाल को जो अधिकार सौंपा गया है, वह मंत्रिमंडल  की सहायता और सलाह पर प्रयोग किया जाना चाहिए. राज्यपाल को अपने विवेक का प्रयोग नहीं करना चाहिए.'

शीर्ष अदालत ने कहा, 'राज्यपाल चुनाव के लिए सदन को नहीं बुला रहे थे, लेकिन मंत्रिपरिषद द्वारा सलाह दी गई थी जो चुने गए हैं और उनका कर्तव्य है.' CJI ने कहा- 'कोई संदेह नहीं है कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना होता है. राज्यपाल बजट सत्र के लिए सदन को बुलाने के लिए बाध्य थे. सत्र बुलाने पर कानूनी सलाह लेने का कोई अवसर नहीं था. वह मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे थे.'

बता दें कि पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार के बीच गतिरोध पिछले सप्ताह और बढ़ गया जब पुरोहित ने संकेत दिया कि उन्हें विधानसभा का बजट सत्र बुलाने की कोई जल्दी नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री मान को राजभवन के एक पत्र पर उनके आपत्तिजनक जवाब की याद दिलाई. 

ये भी पढ़ें:-

"पंजाब विरोधी" : BJP की राज्यपाल शासन की मांग पर भड़के भगवंत मान 

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल और भगवंत मान ने की उनके परिवार से मुलाकात

Featured Video Of The Day
Brazil Plane Crash BREAKING: ब्राजील के ग्रैमाडो में घर में जा घुसा Plane, 10 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका