देश के कई राज्यों में गर्मी का कहर, बिजली की मांग उच्च स्तर पर पहुंची

भारत में मंगलवार को बिजली की अधिकतम मांग 215.88 गीगावाट के उच्च स्तर पर पहुंच गई जो अब तक के रिकॉर्ड 216 गीगावाट से कुछ ही कम है

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
देश में गर्मी बढ़ने के साथ बिजली की मांग बढ़ गई है.
नई दिल्ली/गुवाहाटी:

देश के कई राज्य पिछले कई दिनों से लू के संकट से जूझ रहे हैं. तापमान औसत से ज्यादा बढ़ने से बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ती जा रही है. मंगलवार को देश में बिजली की अधिकतम (Peak) मांग 215.88 गीगावाट (GW) के उच्च स्तर पर पहुंच गई जो अब तक के रिकॉर्ड 216 गीगावाट से कुछ ही कम है. मेघालय के कुछ इलाकों में पॉवर कट की खबर है.

देश के कई हिस्सों में औसत से अधिक तापमान और लू के संकट के साथ ही बिजली की मांग पिछले कुछ दिन में तेजी से बढ़ी है. नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार, 18 अप्रैल को बिजली की अधिकतम मांग 215.88 गीगावाट के उच्च स्तर पर पहुंच गई जो देश में अब तक बिजली की अधिकतम मांग 216 गीगावाट से कुछ ही कम है.

देश में बुधवार, 19 अप्रैल को भी बिजली की अधिकतम मांग 214.92 गीगावाट रही. पिछले 5 दिनों में से 4 दिन बिजली की अधिकतम मांग 200 गीगावाट से ज्यादा रही है. एक अनुमान के मुताबिक इस साल गर्मी के सीजन में बिजली की मांग बढ़कर 229 गीगावाट के स्तर तक पहुंच सकती है.  

कई राज्य सरकारें गर्मी बढ़ने से बिजली की मांग में आई तेजी से सामने आए हालात से जूझ रहे हैं. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे बड़े राज्यों के साथ-साथ लू के संकट से जूझ रहे पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में पॉवर की डिमांड में काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है.

बिजली की मांग बढ़ने का असर उसकी कीमत पर भी पड़ रही है. इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के डे अहेड मार्केट में पिछले 10 दिनों में पॉवर की औसत कीमत 6 रुपये प्रति किलोवाट प्रति घंटा से बढ़कर 7 रुपये प्रति किलोवाट प्रति घंटा से अधिक रही है.

उत्तर पूर्व के पहाड़ी इलाकों में भी औसत से अधिक तापमान की वजह से बिजली की मांग तेज़ी से बढ़ रही है और कुछ इलाकों में पॉवर कट भी रिपोर्ट की गयी है. त्रिपुरा सरकार ने लू संकट को राज्य आपदा घोषित करने के बाद बिजली की मांग से निपटने की तयारी शुरू कर दी है. मेघालय के कुछ इलाकों में 10 घंटे बिजली गुल होने लगी है

Advertisement

उत्तर-पूर्वी भारत के राज्यों में तेज गर्मी का संकट अगले दो साल में और बढ़ सकता है. अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के मौसम विशेषज्ञ सांतनु गोस्वामी ने NDTV से कहा, "पूर्वोत्तर में कम बारिश होगी, लेकिन बारिश और इसके मॉडल से पता चलता है कि 2025 तक पूर्वोत्तर में अधिक गर्म दिन होंगे. सरकार को सही रणनीति के बारे में सोचना होगा, काम के शेड्यूल को  बदलने की जरूरत है. चरम गर्मी वाले घंटों के दौरान अवकाश होना चाहिए.''

मौसम विभाग ने कहा है कि पूर्वी भारत के राज्यों में दो दिन और लू का संकट बना रहेगा. जाहिर है, देश में गर्मी बढ़ने से बिजली की मांग आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है और इससे निपटने की चुनौती भी बड़ी है.

Advertisement

ये भी पढ़ें:-
"समलैंगिक संबंध अब एक बार का रिश्ता नहीं, अब ये रिश्ते हमेशा टिके रहने वाले": CJI
माइक्रोब्लॉगिंग ऐप KOO ने एक महीने में की 30 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी

Featured Video Of The Day
Maharashtra Politics: Samajwadi Party से Friendly Fight पर क्या करेगी Congress?
Topics mentioned in this article