किसी निजी संपत्ति को सामुदायिक भलाई के लिए पुनर्वितरित करने की याचिका पर SC में सुनवाई शुरू

सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ को ये निर्धारित करना है कि क्या राज्य नीति प्रावधान का यह निर्देशक सिद्धांत सरकार को अधिक सामान्य भलाई के लिए निजी स्वामित्व वाली संपत्तियों को समुदायों के भौतिक संसाधनों को पुनर्वितरित करने की अनुमति देता है ?

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 39 बी की व्याख्या को लेकर सुनवाई हो रही है
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट  (Supreme Court) की 9 जजों की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या को लेकर सुनवाई शुरू कर दी है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सरकार किसी निजी संपत्ति को सामुदायिक भलाई के लिए पुनर्वितरित कर सकती है? ऐसे में ये मुद्दा जितना कानूनी है उससे कहीं ज्यादा राजनीतिक भी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट जिस सवाल को लेकर सुनवाई कर रहा है वो बहुत पुराना है. लेकिन फिलहाल देश के चुनावी माहौल में ये गरमा चुका है क्योंकि इसका जिक्र खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले किया था. 

उस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों और अन्य जातियों की जनसंख्या की सटीक जानकारी के लिए सबसे पहले, हम जाति जनगणना कराएंगे. उसके बाद वित्तीय एवं संस्थागत सर्वेक्षण शुरू होगा. इसके बाद, हम भारत की संपत्ति, नौकरियों और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को इन वर्गों को उनकी जनसंख्या के आधार पर वितरित करने का ऐतिहासिक कार्यभार संभालेंगे.

राहुल गांधी के इस बयान पर पीएम नरेंद्र मोदी ने पलटवार किया और  आरोप लगाया कि कांग्रेस पुनर्वितरण के लिए नागरिकों की निजी संपत्ति छीन लेगी. और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के 2006 के भाषण का हवाला भी दिया. 

सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ को ये निर्धारित करना है कि क्या राज्य नीति प्रावधान का यह निर्देशक सिद्धांत सरकार को अधिक सामान्य भलाई के लिए निजी स्वामित्व वाली संपत्तियों को समुदायों के भौतिक संसाधनों को पुनर्वितरित करने की अनुमति देता है ?

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस एस धूलिया, जस्टिस जे बी पारदीवाला, जस्टिस आर बिंदल, जस्टिस एस सी शर्मा और जस्टिस एजी मसीह की पीठ 31 साल पुराने मामले पर सुनवाई कर रही है, जिसे 22 साल पहले 2002 में सात जजों के संविधान पीठ ने 9 जजों के पीठ को भेजा था. दरअसल, इसकी व्याख्या जस्टिस वी आर कृष्णा अय्यर के अल्पमत दृष्टिकोण से उपजी है कि सामुदायिक संसाधनों में निजी संपत्तियां शामिल हैं. 

गौरतलब है अनुच्छेद 39 (बी) में प्रावधान है कि राज्य अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित करेगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए कि आम भलाई के लिए सर्वोत्तम हो. 

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के समक्ष एकमात्र सवाल अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या का था, न कि अनुच्छेद 31सी का, जिसकी वैधता 1971 में 25वें संवैधानिक संशोधन से पहले अस्तित्व में थी, जिसे केशवानंद भारती मामले में 13-न्यायाधीशों की पीठ ने बरकरार रखा है.  

CJI चंद्रचूड़ सहमत हुए और बताया कि अनुच्छेद 39(बी) की व्याख्या 9-जजों की पीठ द्वारा करने की आवश्यकता क्यों है. हालांकि 1977 में रंगनाथ रेड्डी मामले में बहुमत ने स्पष्ट किया है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों में निजी संपत्ति शामिल नहीं है, 1983 में संजीव कोक में 5 जजों की बेंच ने जस्टिस अय्यर पर भरोसा किया इस बात को नज़रअंदाज करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यक दृष्टिकोण था . 

Advertisement

इसपर CJI ने कहा कि इस बीच, 1997 में मफतलाल इंडस्ट्रीज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राय दी कि अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या को 9-जजों की पीठ द्वारा व्याख्या की आवश्यकता है. मफतलाल मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस व्यापक दृष्टिकोण को स्वीकार करना मुश्किल है कि अनुच्छेद 39 (बी) के तहत समुदाय के भौतिक संसाधन निजी स्वामित्व वाली चीज़ों को कवर करते हैं.

पीठ ने पूछा कि 1960 के दशक में अतिरिक्त कृषि भूमि गरीब किसानों के बीच कैसे वितरित की गई. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से  तर्क दिया गया कि सामुदायिक संसाधनों में कभी भी निजी स्वामित्व वाली संपत्तियां शामिल नहीं हो सकती हैं. उन्होंने जस्टिस अय्यर के दृष्टिकोण को मार्क्सवादी समाजवादी नीति का प्रतिबिंब बताया, जिसका नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रधानता देने वाले संविधान द्वारा शासित लोकतांत्रिक देश में कोई स्थान नहीं है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
BREAKING News: Mira Road पर Marathi vs Bhojpuri Songs का विवाद, जानलेवा झड़प में एक की मौत
Topics mentioned in this article