Exclusive: फाइव स्टार होटल जैसे कमरे, प्राइवेट रोड... हाथरस कांड के बाद सामने आया भोले बाबा के मैनपुरी आश्रम का VIDEO

मैनपुरी में भोले बाबा के एक आश्रम को लेकर चौंकाने वाले दस्तावेज मिले हैं. भोले बाबा का आश्रम फाइव स्टार होटल की तर्ज पर बना है. 3 से 4 साल पहले बाबा ने गिफ्ट में मिली 21 बीघा जमीन पर ये आश्रम बनवाया था. इस आश्रम में भोले बाबा खुद 6 आलीशान कमरों में रहते हैं, जबकि 6 कमरे कमेटी के सदस्यों और सेवादारों के लिए बने हैं.

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राजस्व विभाग ने मैनपुरी के बिछुआ में 21 बीघे की जमीन पर बने भोले बाबा के आश्रम के अहम दस्तावेज कब्जे में लिए हैं.
मैनपुरी:

दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर हाथरस में मंगलवार को 122 लोगों की जान जा चुकी है. भोले बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ मच गई थी. इससे लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े और कुचले गए. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं. सत्संग में प्रवचन देने वाले नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा सुर्खियों में हैं. हादसे के बाद से वह अंडरग्राउंड बताए जा रहे हैं. उनकी प्राइवेट आर्मी और सेवादार भी भाग चुके हैं. हालांकि, NDTV की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक भोले बाबा मैनपुरी के आश्रम में हैं. मंगलवार को हाथरस के सत्संग में भगदड़ में लोगों को मरता छोड़कर वह वहां से भाग गए और मैनपुरी के बिछुआ में अपने आश्रम आ गए हैं. बाबा आश्रम के अंदर ही हैं, लेकिन बाहर नहीं निकल रहे. भारी तादात में पुलिसकर्मी आश्रम के बाहर मौजूद हैं. बुधवार सुबह मैनपुरी के डीएम भी यहां पहुंचे थे.

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इस बीच पुलिस भोले बाबा के ठिकानों पर छापा मार रही है. भोले बाबा के आश्रम का एक एक्सक्लूसिव वीडियो सामने आया है. राजस्व विभाग ने 21 बीघे की जमीन पर बने इस आश्रम के अहम दस्तावेज कब्जे भी में लिए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 21 बीघे जमीन की कीमत 4 करोड़ रुपये के आसपास बताई जा रही है. दस्तावेजों के मुताबिक, भोले बाबा के आश्रम के लिए जमीन गिफ्ट में दी गई थी. यही नहीं, आश्रम तक जाने के लिए एक प्राइवेट रोड भी बनवाया गया है. 

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6 आलीशान कमरों में रहते हैं भोले बाबा
मैनपुरी में भोले बाबा के एक आश्रम को लेकर चौंकाने वाले दस्तावेज मिले हैं. भोले बाबा का आश्रम फाइव स्टार होटल की तर्ज पर बना है. 3 से 4 साल पहले बाबा ने गिफ्ट में मिली 21 बीघा जमीन पर ये आश्रम बनवाया था. इस आश्रम में भोले बाबा खुद 6 आलीशान कमरों में रहते हैं, जबकि 6 कमरे कमेटी के सदस्यों और सेवादारों के लिए बने हैं. यहां एक आलीशान कैफेटेरिया है. खाना बनाने के लिए भी अलग से इंतजाम है.

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कई जगहों पर भोले बाबा की करोड़ों की संपत्ति 
पुलिस को जांच के दौरान मैनपुरी के अलावा कई और जगहों पर भोले बाबा की करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं. पश्चिमी यूपी के जिलों में भोले बाबा के कई एकड़ जमीन पर आश्रम हैं. इन आश्रमों में लगातार सत्संग होते रहते हैं. बाबा के अनुयायियों में सबसे बड़ा हिस्सा अनुसूचित जाति-जनजाति का है. OBC समुदाय के अनुयायी भी सत्संग में आते हैं. वंचित वर्ग बाबा को भोले बाबा के रूप में देखते हैं.  

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कौन हैं भोले बाबा?
भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है. वह एटा के रहने वाले हैं. करीब 25 साल से सत्संग कर रहे हैं. पहले वो पुलिस में थे. यौन शोषण के आरोप लगने के बाद बर्खास्त कर दिए गए. तब से उन्होंने अपना नाम और पहचान बदल लिया. नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के नाम से प्रवचन देने लगे. पश्चिमी UP के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी उनके अनुयायी हैं.

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FIR में भोले बाबा का नाम नहीं
हादसे में 22 लोगों के खिलाफ सिकंदराराऊ थाने के दरोगा ने FIR दर्ज कराई. इसमें मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर का नाम है. बाकी सब अज्ञात आरोपी हैं. हालांकि, हैरानी वाली बात है कि इसमें मुख्य आरोपी भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम ही नहीं है. 

कब और कैसे हुआ हादसा?
हादसा मंगलवार दोपहर 1 बजे फुलरई गांव में हुआ. यहां सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा निकले, तो उनके पैरों की धूल लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ीं. कुछ बच्चे भी सामने आ गए. भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया. बचने के लिए अफरा-तफरी का माहौल हो गया. लोग बचने के चक्कर में एक-दूसरे पर गिरने लगे. इसतरह भगदड़ मच गई. बुधवार सुबह साढ़े 11 बजे सीएम योगी भी हाथरस पहुंचे. उन्होंने अफसरों से पूरे हादसे की जानकारी ली.

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सीएम योगी ने कहा, "यह हादसा साजिश जैसा है. लोग मरते गए. सेवादार वहां से भाग गए. उन्होंने न तो प्रशासन को सूचना दी और न ही मदद की. प्रशासन की टीम जब पहुंची तो सेवादारों ने उन्हें आगे जाने नहीं दिया. हमने भी कुंभ जैसे बड़े आयोजन किए, लेकिन ऐसी चीजें नहीं आईं." सीएम योगी ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है.

सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति, पहुंच गए ढाई लाख
FIR के मुताबिक, प्रशासन ने सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति दी थी. लेकिन सत्संग में ढाई लाख लोग पहुंच गए थे. इतने लोगों के लिए जगह छोटी पड़ गई थी. बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए होड़ मची, तो सेवादार गेट पर खड़े हो गए. उन्होंने लोगों को रोक दिया. इसके बाद भीड़ मैदानों की तरफ मुड़ गई. लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए आगे निकलते गए. जबकि प्रशासन और सेवादार खड़े देखते रहे.

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