ज्ञानवापी मामला : मुस्लिम पक्ष की नई याचिका पर सुनवाई को तैयार हुई सुप्रीम कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 19 दिसंबर 2023 को टाइटल सूट को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका समेत पांच याचिकाएं खारिज करने के फैसले को दी चुनौती दी गई है.

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सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी मामले में करेगा सुनवाई
नई दिल्ली:

ज्ञानवापी मामले को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को मान लिया है जिसके तहत सुनवाई करने की मांग की थी. कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी मामले की सुनवाई अन्य लंबित मामलों के साथ ही होगी. कोर्ट ने इस याचिका को भी बाकी याचिकाओं के साथ टैग किया है. बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 दिसंबर 2023 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को खारिज की थी जिसमें हिन्दू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य नहीं बताया गया था. साथ ही ASI सर्वे की इजाजत को चुनौती भी खारिज की गई थी.  

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 19 दिसंबर 2023 को टाइटल सूट को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका समेत पांच याचिकाएं खारिज करने के फैसले को दी चुनौती दी गई है. इन याचिकाओं में ज्ञानवापी मस्जिद की जगह मन्दिर बनाने की मांग के मुकदमे को सुनवाई लायक मानने (ऑर्डर 7 रूल 11) के निचली अदालत के फैसले के साथ साथ ASI सर्वे की इजाजत को भी चुनौती दी गई थी.

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टाइटल सूट को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका सहित उनकी पांच याचिकाएं खारिज कर दी थी. मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के 1991 के मुकदमे को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं. अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल सूट के सुनवाई योग्य होने को चुनौती दी थी. 

इलाहाबाद हाई कोर्ट कुल 5 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी, जिसमें से 2 याचिकाएं सिविल वाद के सुनवाई योग्य होने और 3 याचिकाएं ASI सर्वे आदेश के खिलाफ थीं. दो याचिकाओं में 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर मूल वाद की सुनवाई योग्य होने  को चुनौती दी गई थी.तीन याचिकाओं में अदालत के परिसर के सर्वे आदेश को चुनौती दी गई थी.

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मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए कहा था कि इस कानून के तहत ज्ञानवापी परिसर में कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है. इस पर कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी के मामले में यह नियम आड़े नहीं आता है. 

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