अग्निपथ' योजना के देशव्‍यापी विरोध के मद्देनज़र 'डिफेंसिव' मोड में सरकार

सरकार का कहना है कि आलोचक इस योजना की जल्द और महत्वपूर्ण परिणाम देने की क्षमता की अनदेखी कर रहे हैं.

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अग्निपथ योजना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं
नई दिल्‍ली:

Agnipath Scheme Protest: सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme)के खिलाफ देश के कई राज्‍यों में हिंसा भड़क उठी है. सरकार की ओर से चार साल के कार्यकाल के लिए आयु सीमा में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा के बाद भी हिंसा फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रही. केंद्र सरकार ने मंगलवार को "अग्निपथ" योजना की घोषणा की थी. लेकिन इसके तुरंत बाद ही देशभर में विरोध प्रदर्शन होने लगे. बिहार में ही कम से कम 30 ट्रेनों और भाजपा के कार्यालयों पर हमला किया गया.  देशव्यापी प्रदर्शन के तीसरे दिन आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, ''कोविड महामारी के कारण सेना में भर्ती प्रक्रिया पिछले दो साल से प्रभावित है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अग्निपथ योजना में युवा की जरूरतों के प्रति संवेदनशील हैं और इसी को ध्यान में रखकर युवाओं को ऊपरी आयु सीमा में 21 वर्ष से 23 वर्ष तक बढ़ाकर दो वर्ष की रियायत दी गई है. यह कदम उठाना एक संवेदनशील निर्णय है."

लोगों के गुस्से और बढ़ते विरोध के मद्देनज़र सरकार का यह पहला बड़ा फैसला है. गौरतलब है कि अग्निपथ योजना के तहत अल्पकालिक सैन्य भर्ती की शुरुआत होगी. सफल उम्मीदवारों को चार साल तक काम करने का अवसर मिलेगा. आलोचकों का कहना है कि नए रंगरूट को सरकारी पेंशन सहित तमाम दूसरी सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी अगर उनकी सेवा चार वर्षों के बाद ही समाप्त हो जाती है. शुरुआत में साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों को योजना का फायदा मिलना था. लेकिन अब  सरकार ने ऊपरी आयु सीमा 21 से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी है. विरोध करने वाले नौजवानों का कहना है कि महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से कोई सैन्य भर्ती नहीं हुई है और लाखों युवा पुरुषों और महिलाओं को इस अवसर से वंचित कर दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने 21 साल की उम्र पार कर ली.

पीएम मोदी की सरकार ने नई सैन्य भर्ती योजना को एक युवा सैनिक कोर के साथ सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के रूप में पेश किया है. साथ ही उन्होंने हजारों नई नौकरियों का अवसर प्रदान किया है तथा पेंशन पर होने वाले भारी खर्च में भी कटौती की है. AFP को दिए एक साक्षात्कार में सेवानिवृत्त मेजर जनरल बीरेंद्र धनोआ ने कहा, "चार साल एक काफी छोटा समय है और लोग अपने को शोषित महसूस करते हैं." उन्होंने कहा,"हमें यह जांचना होगा कि क्या यह सशस्त्र बलों के लिए भी अच्छा साबित होगा."  घनोआ कहते हैं कि 1.4 मिलियन की मजबूत सेना में सुधार की जरूरत है लेकिन अग्निपथ योजना शायद इसका समाधान नहीं है. इस साल इस योजना के तहत 46,000 लोगों की भर्ती की जाएगी. 

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सरकार का कहना है कि आलोचक इस योजना की जल्द और महत्वपूर्ण परिणाम देने की क्षमता की अनदेखी कर रहे हैं. सरकार के मुताबिक, चार साल के कार्यकाल के बाद केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और रेलवे के साथ नौकरियों के लिए "अग्निवीर" को प्राथमिकता दी जाएगी. उन्हें विशेष शैक्षिक कार्यक्रमों का अवसर भी प्राप्त होगा और उन्हें सेना के साथ बिताए गए समय के लिए कॉलेज क्रेडिट देगा. यही नहीं, सर्वोत्तम रंगरूटों में से 25% को पूर्णकालिक नौकरी का अवसर भी मिलेगा.  इसके अलावा  सेना को एक युवा और अधिक गतिशील कर्मचारी की वजह से लाभ मिलेगा. उद्योगपतियों ने भी कहा है कि वे भी अपने यहां "अग्निवीरों" को रोजगार का अवसर प्रदान करेंगे. सेना के दिग्गजों सहित आलोचकों का कहना है कि अल्पकालिक भूमिकाओं की संविदात्मक प्रकृति की वजह से सेना को नुकसान होगा. बलों की प्रेरणा और मनोबल प्रभावित होगी. आलोचकों के मुताबिक, किसी नौजवान को प्रशिक्षित करने के लिए चार साल अपर्याप्त हैं. विरोध करने वालों का यह भी कहना है कि सरकार के आश्वासन के बावजूद उन्हें चिंता है कि चार साल के कार्यकाल के बाद वे बेरोजगार रह जाएंगे.
विपक्ष ने सरकार से इस योजना को स्थगित करने और इस पर व्यापक चर्चा करने को कहा है. सरकार का कहना है कि उसने योजना को आकार देने से पहले इस मामले पर दो साल तक विचार-विमर्श किया और इसके फायदे को लेकर आश्वस्त है.

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