कंक्रीट की बड़ी-बड़ी बैरिकेडिंग, 2 स्टेडियम बने अस्थायी जेल; किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च से पहले प्रशासन सतर्क

केंद्र सरकार ने किसान यूनियनों की मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को उन्हें एक और बैठक के लिए आमंत्रित किया है.

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नई दिल्ली:

किसान यूनियनों (Farmers Protest) के मंगलवार को प्रस्तावित 'दिल्ली चलो' मार्च से पहले प्रशासन की तरफ से व्यापक तैयारी की गयी है. हरियाणा और दिल्ली में कई स्थानों पर कंक्रीट के अवरोधक, सड़क पर बिछने वाले नुकीले अवरोधक और कंटीले तार लगाकर पड़ोसी राज्यों से लगी सीमाओं को किले में तब्दील कर दिया गया है. इसके अलावा निषेधाज्ञा लागू की गई है और हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा चुका है.

हरियाणा सरकार की तरफ से चौधरी दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम सिरसा और गुरु गोविंद सिंह स्टेडियम डबवाली को टेंपरेरी जेल बनाया गया है. किसी भी अप्रिय स्थिति में किसानों को बड़ी संख्या में  हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने पर अस्थाई जेल में रखा जाएगा. 

दिल्ली में धारा 144 लागू
रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई, जिसमें पुलिस को प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सभी प्रयास करने का निर्देश दिया गया. 2020-21 के किसानों के आंदोलन स्थलों में से एक, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी अवरोधक लगाए गए हैं और पुलिस की जांच तेज कर दी गई है. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए, दिल्ली पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी सीमा पर 5,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है.

दिल्ली पुलिस की तरफ से ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गयी है
दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी एडवाइजरी के अनुसार सोमवार और मंगलवार को दिल्ली में प्रवेश करने वालों को भारी जाम का सामना करना पड़ सकता है. बॉर्डर पर जांच के कारण गाड़ियों की लंबी कतारें लग सकती हैं. दिल्ली पुलिस की तरफ से अपील की गयी है कि लोग अधिक से अधिक सार्वजनिक वाहनों का ही उपयोग करें. पुलिस के अनुसार गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिये जाएंगे. इन जगहों पर जाने से लोगों को बचने के लिए कहा गया है. 

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाओं को अवरुद्ध करने के कदम की रविवार को विपक्षी दलों और किसान समूहों ने आलोचना की. हालांकि, अधिकारियों ने निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का हवाला देते हुए पाबंदियों का बचाव किया. पंजाब के मुख्यमंत्री और ‘आप' के नेता भगवंत मान ने दिल्ली और हरियाणा में प्रवेश करने वाली सड़कों की तुलना भारत-पाकिस्तान सीमा से की है. 

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने राज्य की सीमाओं पर सड़क पर कील-कांटे लगाए जाने का एक वीडियो साझा किया और कहा, 'किसानों की राह में कील-कांटे बिछाना 'अमृतकाल' है या 'अन्यायकाल'?'

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी सड़कों पर अवरोधक लगाए जाने की निंदा की. उन्होंने कहा, “हम बातचीत के लिए तैयार हैं और बातचीत से कभी नहीं भागेंगे.” उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ''अगर स्थिति खराब हुई तो इसकी जिम्मेदारी खट्टर (हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर) सरकार की होगी. ''

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विरोध प्रदर्शन से जुड़े लोगों को न दे पेट्रोल: प्रशासन
दिल्ली के करीब स्थित हरियाणा के सोनीपत में जिला प्रशासन ने ईंधन पंप मालिकों के लिए एक आदेश भी जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि वो बोतलें या अन्य कंटेनर ईंधन न भरें. ट्रैक्टरों के लिए 10-लीटर की कैप पेश की गई है. प्रशासन ने चेतावनी दी है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़े लोगों को ईंधन मुहैया कराने पर कार्रवाई की जाएगी.

केंद्र ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है
केंद्र सरकार ने  किसान यूनियनों की मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को उन्हें एक और बैठक के लिए आमंत्रित किया है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शनिवार को कहा था कि केंद्र ने उन्हें अपनी मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को बैठक के लिए आमंत्रित किया है.  उन्होंने कहा कि तीन केंद्रीय मंत्री - पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय - संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने के लिए 12 फरवरी को चंडीगढ़ पहुंचेंगे. 

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किसान क्यों कर रहे हैं आंदोलन?
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानो संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के सिलसिले में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.13 फरवरी को 200 से अधिक किसान यूनियनों के समर्थन से 'दिल्ली चलो' मार्च की घोषणा की है.

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