किसान आंदोलन : बलबीर सिंह राजेवाल का आरोप- केंद्र सरकार ने फिर से नहीं शुरू की बातचीत

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) ने शनिवार को केंद्र सरकार (Centre Govt) पर बातचीत फिर से शुरू नहीं करने का आरोप लगाया.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
किसान पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. (फाइल फोटो)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
नवंबर 2020 से आंदोलन कर रहे किसान
नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग
सरकार-किसान की सभी वार्ता रहीं विफल
नई दिल्ली:

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) ने शनिवार को केंद्र सरकार (Centre Govt) पर बातचीत फिर से शुरू नहीं करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि किसानों ने केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws) पर बातचीत करने से कभी इनकार नहीं किया. राजेवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘22 जनवरी के बाद से केंद्र सरकार द्वारा कोई बैठक नहीं बुलाई गई है. सरकार की ओर से बातचीत के लिए आगे का रास्ता रोक दिया गया है. हमने बातचीत करने से कभी इनकार नहीं किया.'' उन्होंने कहा कि बातचीत फिर से शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एक पत्र भी लिखा गया है.

विरोध प्रदर्शन करने वाले 40 से अधिक किसान संघों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तीन कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया था, जिसके खिलाफ वे दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता तीन केंद्रीय कानूनों पर गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि कानून पर वार्ता दोबारा शुरू करने के लिए पीएम मोदी को लिखा पत्र 

एक सरकारी समिति ने 22 जनवरी को किसान नेताओं से मुलाकात की थी. 26 जनवरी के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है, जब राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी. राजेवाल ने शनिवार को केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में उसके खिलाफ अभियान चलाएंगे, जैसा उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान किया था.

Advertisement

उन्होंने कहा कि संघर्ष को और तेज करने के लिए सभी किसान संगठनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. हालांकि, COVID-19 महामारी के कारण इस संबंध में किसी तारीख को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) गुट के अध्यक्ष राजेवाल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर उनके विरोध के छह महीने होने के प्रतीक के तौर पर 26 मई को ‘‘काला ​​दिवस'' के रूप में मनाया जाएगा.

Advertisement

उन्होंने कहा कि इस दिन लोगों को कृषि कानूनों के विरोध में अपने घरों, दुकानों, उद्योगों और ट्रैक्टरों पर काले झंडे लहराने चाहिए. इसके अलावा 26 मई को प्रधानमंत्री का पुतला भी फूंका जाएगा. राजेवाल ने हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाया कि वह दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को यह कहकर बदनाम करने की कोशिश कर रही है कि इससे कोविड-19 संक्रमण फैल सकता है.

Advertisement

किसान आंदोलन की कामयाबी ही चौधरी अजित सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि : राकेश टिकैत

किसान नेता ने कहा कि उन्होंने टिकरी और सिंघू सीमा पर धरना स्थलों पर संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 13 मई को किसानों से कोविड​​​​-19 की गंभीर स्थिति के मद्देनजर अपना आंदोलन स्थगित करने का आग्रह किया था और दावा किया था कि ''धरना'' स्थलों से गांवों के बीच उनकी आवाजाही से गांवों में संक्रमण फैला रहा है.

Advertisement

राजेवाल ने कहा कि उन्होंने विरोध स्थल के पास एक अस्पताल में 10 ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था की है. उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रत्येक प्रदर्शनकारी को ''काढ़ा'' दे रहे हैं. हम विटामिन ए, सी, डी और अन्य दवाएं भी वितरित करते हैं.'' राजेवाल ने अफसोस जताया कि 20 दिन पहले हरियाणा के सोनीपत प्रशासन से अनुरोध किए जाने के बावजूद टिकरी और सिंघू में किसानों के टीकाकरण के लिए कोई नहीं आया.

VIDEO: हरियाणा सरकार की रिपोर्ट पर भड़के किसान

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
India Pakistan Tension: 'वो 16 लाख, हम 6 लाख...' Indian Army से कांपा ये पूर्व Pakistani Officer