Exclusive: भारतीयों को अमेरिकी वीजा के लिए नहीं करना पड़ेगा लंबा इंतजार, नए राजदूत ने दिए संकेत

भारत में अमेरिका के नए राजदूत एरिक गार्सेटी ने ऐसे समय कार्यभार संभाला है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जून को राजकीय यात्रा पर अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे हैं.

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एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिकी के नए राजदूत हैं.
नई दिल्ली:

भारतीयों के लिए अमेरिकी वीजा के लिए प्रतीक्षा का समय कम करना "10 वीं या 11 वीं प्राथमिकता" नहीं है, बल्कि "नंबर एक प्राथमिकता" है. यह बात भारत में अमेरिकी के नए राजदूत एरिक गार्सेटी ने आज NDTV से कही. गार्सेटी ने ऐसे समय कार्यभार संभाला है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जून को अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भी इस साल के अंत में दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आने की उम्मीद है.

गार्सेटी ने कहा, "मैं यहां राजदूत बनने के लिए बहुत उत्साहित हूं, तब जब न केवल प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका जाएंगे बल्कि राष्ट्रपति बाइडेन भी यहां आएंगे. यह ऐतिहासिक है. मुझे यकीन नहीं है कि ऐसा पहले भी हुआ है. दोनों नेता एक-दूसरे के देश का कुछ ही महीनों के अंतराल में दौरा कर रहे हैं."

इस सवाल पर कि क्या वे अमेरिकी वीजा के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा करने के मुद्दे पर गौर करेंगे? गार्सेटी ने कहा, "बिल्कुल, और राष्ट्रपति ने कहा है, 'एरिक, इसे ठीक करो.' यह सिर्फ 10वीं या 11वीं प्राथमिकता नहीं है. यह मेरे लिए नंबर वन प्राथमिकता है."

अमेरिकी राजदूत ने कहा, "मुझे लगता है कि अमेरिका की तुलना में वीजा भारतीयों को अधिक सीधे तौर पर असर डालता है. और यह एक अच्छी समस्या है. अधिक से अधिक भारतीय पढ़ाई करने के लिए या पर्यटक के रूप में अमेरिका आना चाहते हैं... हम इस समस्या को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं." 

गार्सेटी ने कहा, "वर्ष की शुरुआत की तुलना में प्रतीक्षा समय (वीज़ा के लिए) 60 प्रतिशत कम हो गया है. जनवरी, फरवरी और मार्च में हमने रिकॉर्ड संख्या में वीज़ा प्रोसेस किए. पिछले साल स्टूडेंट वीज़ा किसी अन्य देश की तुलना में भारत से अधिक आए थे. रुकिए, अगले कुछ हफ्तों में, जब हमारे नेता मिलेंगे, तो आपको कई घोषणाएं मिलेंगी. इससे पहले भी स्टूडेंट वीजा सीजन के लिए तैयार हैं और पहले से ही प्रतीक्षा समय कम और कम होता जा रहा है. हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक भारतीय अमेरिका आना जारी रखें." 

एक शीर्ष अधिकारी ने अप्रैल में कहा था कि अमेरिका इस साल भारतीयों को दस लाख से अधिक वीजा जारी करने की राह पर है. दक्षिण और मध्य एशिया के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने अप्रैल में समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया था कि अमेरिका एच-1बी और एल वीजा को भी प्राथमिकता दे रहा है, जिसकी भारत के आईटी पेशेवरों द्वारा सबसे अधिक मांग की जाती है.

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H-1B वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को ऐसे विशेष व्यवसायों में नियुक्त करने की इजाजत देता है जिनमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है.

गार्सेटी ने यूक्रेन में युद्ध के दौर में भारत की G20 की अध्यक्षता के बारे में NDTV को बताया कि भारत की G20 अध्यक्षता "प्रभावशाली" है क्योंकि "भारत अतीत और भविष्य के बीच, पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण के बीच एक सेतु है."

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उन्होंने कहा, "हम उन आकांक्षाओं पर भारत के साथ खड़े हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि G20 केवल यूक्रेन में युद्ध के बारे में नहीं है. हम रूस द्वारा अकारण आक्रमण के बारे में दृढ़ता से बोलना बंद नहीं करेंगे. मुझे यकीन है कि भारतीय समझते हैं कि सीमाएं और संप्रभुता कितनी महत्वपूर्ण हैं. उसी समय हम जानते हैं कि ऐसे रिश्ते हैं, जो दशकों से हैं." 

अमेरिकी राजदूत ने इस बात से इनकार किया कि चीन के कारण भारत और अमेरिका करीब आ रहे हैं.

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हम वास्तव में एक-दूसरे को पसंद करते हैं. भारत और अमेरिका स्वाभाविक मित्र हैं. यह लेन-देन नहीं है, यह संबंधपरक है. यह सिर्फ एक-दूसरे के लिए एक संबंध नहीं है, हमारे पारस्परिक हित हैं. चीन हो या कुछ और." 

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