मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने शनिवार को यहां कहा कि चुनाव आयोग (Election Commission) चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) योजना के संबंध में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के निर्देशों का पालन करेगा. कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि आयोग हमेशा सूचना प्रवाह और भागीदारी में पारदर्शिता के आधार पर काम करता है. उन्होंने कहा, ‘‘शीर्ष अदालत को दिए अपने हलफनामे में, आयोग ने कहा कि वह पारदर्शिता के पक्ष में है और जब आदेश जारी किया जाएगा, तो वह उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार कदम उठाएगा.''
ईवीएम के प्रयोग के बिना चुनाव कराने को लेकर उच्चतम न्यायालय में लंबित मामले से जुड़े एक सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘‘फैसला आने दीजिए...अगर जरूरत पड़ी तो अदालत के निर्देश के मुताबिक बदलाव किए जाएंगे.''
उच्चतम न्यायालय ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बृहस्पतिवार को एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉण्ड योजना को ‘असंवैधानिक' करार देते हुए निरस्त कर दिया तथा चंदा देने वालों, बॉण्ड के मूल्यों और उनके प्राप्तकर्ताओं की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
पीठ ने बताया था संवैधानिक अधिकारों का 'उल्लंघन'
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 की इस योजना को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सूचना के संवैधानिक अधिकारों का 'उल्लंघन' बताया. शीर्ष अदालत केंद्र की इस दलील से सहमत नहीं थी कि इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना और काले धन पर अंकुश लगाना था.
योजना को तत्काल बंद करने का दिया था निर्देश
लोकसभा चुनाव से पहले आए इस फैसले में उच्चतम न्यायालय ने इस योजना को तत्काल बंद करने तथा इस योजना के लिए अधिकृत वित्तीय संस्थान ‘भारतीय स्टेट बैंक' (एसबीआई) को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का विस्तृत ब्योरा छह मार्च तक निर्वाचन आयोग को सौंपने का भी निर्देश दिया.
ये भी पढ़ें :
* चुनावी बॉन्ड को SC ने किया रद्द : कांग्रेस और भाजपा ने एक दूसरे पर साधा निशाना
* चुनावी बॉन्ड योजना क्या है? जिसे सुप्रीम कोर्ट ने "असंवैधानिक" बताकर कर दिया रद्द
* अब तक कैश नहीं किए गए चुनावी बॉन्ड रिफ़न्ड करने होंगे : सुप्रीम कोर्ट का आदेश