प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में कथित अनियमितताओं से जुड़ी धनशोधन की जांच के सिलसिले में अपना पहला आरोपपत्र दाखिल कर दिया है. आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि संघीय एजेंसी ने 28 मार्च को दिल्ली में एक विशेष पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम कानून) अदालत में करीब 8,000 पृष्ठों की अभियोजन शिकायत दर्ज करायी, जिसमें अनुलग्नकों के अलावा 140 पृष्ठ शामिल हैं. उन्होंने बताया कि अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के लिए एक अप्रैल की तारीख तय की है.
आरोपपत्र में चार व्यक्तियों तथा एक कंपनी को नामजद किया गया है, जो क्रमश: डीजेबी के पूर्व मुख्य इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा, ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल, एनबीसीसी के पूर्व महाप्रबंधक डी के मित्तल, तेजिंदर सिंह और एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड हैं.
ईडी ने आरोप लगाया कि डीजेबी द्वारा दिए गए एक ठेके में भ्रष्टाचार के माध्यम से प्राप्त धन दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) को कथित तौर पर चुनावी फंड के रूप में भेजा गया था. एजेंसी ने इस मामले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी समन भेजा था, लेकिन वह उसके समक्ष पेश नहीं हुए थे.
उसने फरवरी में जांच के सिलसिले में केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार, ‘आप' के राज्यसभा सदस्य तथा कोषाध्यक्ष एन डी गुप्ता, डीजेबी के पूर्व सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल और कुछ अन्य के परिसरों की तलाशी ली थी.
ईडी का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें तकनीकी पात्रता मानदंड पूरे नहीं करने पर भी डीजेबी की ओर से एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी को दिए गए 38 करोड़ रुपये के ठेके में अनियमितताओं का आरोप है.
जांच एजेंसी ने दावा किया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 'जाली' दस्तावेज जमा कर ठेका हासिल किया और अरोड़ा को इस तथ्य की जानकारी थी कि कंपनी तकनीकी पात्रता पूरी नहीं करती है.
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन में आरोपों से इनकार किया था और दावा किया था कि यह मामला ‘आप' और उसके नेताओं की छवि धूमिल करने का एक और प्रयास है.