पूर्वी बेंगलुरु हिंसा मामले (East Bengaluru violence case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बेंगलुरु (Bengaluru) के पूर्व मेयर संपत राज और पूर्व पार्षद अब्दुल रकीब जाकिर को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त, 2020 के एक मामले में दोनों को जमानत देने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जिसके बाद दोनों की जमानत बरकरार रहेगी. पुलिकेशीनगर निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक आर अखंड श्रीनिवासमूर्ति द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. बेंगलुरु हिंसा के कारण चार लोग मारे गए थे.
दरअसल श्रीनिवासमूर्ति के भतीजे द्वारा कथित भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हजारों लोगों ने दंगा कर दिया था. श्रीनिवासमूर्ति और उनकी बहन के घर को आग लगा दी थी. श्रीनिवासमूर्ति की याचिका में कहा गया कि आरोपी घटना के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक थे और उन्होंने सांप्रदायिक स्थिति पैदा करने के लिए लोगों को घर में तोड़फोड़ करने और जलाने के लिए लामबंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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याचिका में कहा गया कि पड़ोसी सीवी रमन नगर क्षेत्र से विधानसभा चुनाव हारने वाले संपत राज ने राजनीतिक कारणों से दुर्भावना के चलते ये किया. आरोपी ने उनके भतीजे द्वारा कथित अपमानजनक पोस्ट के बहाने अशांति और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा कर दी.
साथ ही हाईकोर्ट ने इसी साल 16 जून को पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु में हुए दंगों में कथित भूमिका के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपित 115 लोगों को डिफॉल्ट जमानत दे दी थी.
दरअसल अगस्त 2020 में कांग्रेस विधायक आर अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर को दंगे के दौरान निशाना बनाया गया क्योंकि उनके भतीजे पर आपत्तिजनक पोस्ट जारी करने का आरोप लगा था. दंगाइयों ने दो पुलिस स्टेशनों और कई वाहनों को भी जला डाला था. इस दंगे को लेकर संपत राज और एक अन्य कारपोरेटर अब्दुल रकीब जाकिर को भी गिरफ्तार किया गया था.
इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने फरवरी में तीनों को जमानत दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस विधायक आर अखंड श्रीनिवासमूर्ति की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसके बाद दोनों की जमानत बरकरार रहेगी.