पैनेसिया बायोटेक द्वारा विकसित डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण कुछ महीनों में शुरू होने की संभावना है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई से यह बात कहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से इस वैक्सीन को विकसित किया गया है.
वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण में रेंडमनाइज्ड, डबल-ब्लाइंड, प्लेसीबो-कंट्रोल्ड ट्रायल होंगे. इसका मतलब यह है कि प्रतिभागियों को टीका या प्लेसबो देने के लिए रेंडमली चुना जाएगा. न तो प्रतिभागियों को और न ही जांच करने वालों को यह पता चलेगा कि कौन टीका लगवा रहा है और किसको प्लेसबो दिया जा रहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ राजीव बहल ने कहा, "परीक्षण चल रहे हैं लेकिन वे अभी तक पूरी तरह से शुरू नहीं हुए हैं क्योंकि हम कंपनी की ओर से उत्पाद बनाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो कि तीन महीने से पहले नहीं बनाए जा सकते हैं. कंपनी के उत्पाद अगस्त में तैयार होना चाहिए. इसलिए कुछ महीनों में तीसरे चरण के परीक्षण शुरू किए जा सकते हैं."
परीक्षण का प्राथमिक लक्ष्य डेंगू बुखार को रोकने में टीके के प्रभाव का आकलन करना है. परीक्षण के दूसरे समापन बिंदु पर वैक्सीन की सुरक्षा की जांच की जाएगी.
आईसीएमआर के संचारी रोग विभाग की प्रमुख डॉ निवेदिता गुप्ता ने कहा कि पैनेसिया बायोटेक ने भारत में स्वस्थ वयस्कों पर वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का परीक्षण पहले ही पूरा कर लिया है.
डॉ गुप्ता ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "हमारे पास कुछ प्रारंभिक इम्यूनोजेनेसिटी परिणाम भी हैं. इसलिए सभी पेपर वर्क किया जा चुका है और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से तीसरे चरण के रेंडमनाइज्ड, डबल-ब्लाइंड, प्लेसबो कंट्रोल्ड परीक्षण के लिए एप्रूवल भी जनवरी में प्राप्त किया गया है. परीक्षण 20 साइटों पर 18 से 80 वर्ष की आयु के 10,335 स्वस्थ वयस्कों पर किया जाएगा.
डेंगू एक मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है जो चार अलग-अलग वायरस के कारण होती है. यह बीमारी देश के कई हिस्सों में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है. डेंगू में कई प्रकार के लक्षण देखे जाते हैं. इसमें मरीज हल्के बुखार से लेकर गंभीर बीमारी तक की गिरफ्त में आ जाता है. इसमें डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic Fever) भी शामिल है.
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