दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को यासीन मलिक के लिए उचित इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने केंद्र और जेल महानिदेशक के वकील से यह प्रदर्शित करने के लिए कि कैदी इलाज से इनकार कर रहा था उसके समक्ष रिकॉर्ड पेश करने को कहा.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक मलिक की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने को कहा. (फाइल)
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • दिल्‍ली हाईकोर्ट ने यासीन मलिक को का उचित चिकित्सा उपचार देने का निर्देश
  • यासीन मलिक का दावा है कि वह हृदय और गुर्दे की गंभीर समस्याओं से पीड़ित है
  • केंद्र और जेल महानिदेशक (तिहाड़ जेल) के वकील ने कहा कि तथ्यों को छुपाया
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
नई दिल्ली :

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल के अधीक्षक को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) का उचित चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. मलिक का दावा है कि वह हृदय और गुर्दे की गंभीर समस्याओं से पीड़ित हैं. केंद्र सरकार और जेल महानिदेशक (तिहाड़ जेल) के वकील ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि याचिका में तथ्यों को गंभीर तौर पर छुपाया गया है और मलिक प्राधिकारियों द्वारा मुहैया कराये गये उपचार से इंकार कर रहे हैं.

न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने केंद्र और जेल महानिदेशक के वकील से यह प्रदर्शित करने के लिए कि कैदी इलाज से इनकार कर रहा था उसके समक्ष रिकॉर्ड पेश करने को कहा. साथ ही संबंधित जेल अधीक्षक से सुनवाई की अगली तारीख तक मलिक की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने को कहा. उच्च न्यायालय ने मलिक की याचिका पर सुनवाई 14 फरवरी के लिए सूचीबद्ध की है.

याचिका में अधिकारियों को मलिक के इलाज का रिकॉर्ड पेश करने और उन्हें उचित तथा आवश्यक इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) या फिर यहां (दिल्ली) एवं जम्मू-कश्मीर स्थित किसी निजी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में रेफर करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. इसमें कहा गया है कि मलिक हृदय और गुर्दे की गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. यह याचिका मलिक की ओर से उनकी मां आतिका मलिक ने दायर की है.

Advertisement

'बहुत उच्च जोखिम वाला सुरक्षा कैदी'

अधिकारियों के वकील ने तर्क दिया कि मलिक एक 'बहुत उच्च जोखिम वाला सुरक्षा कैदी' हैं और इसलिए मेडिकल दल को जेल में ही लाया जा सकता है. अदालत ने उन्हें लिखित रूप में अपना पक्ष रखने के लिए कहा ताकि इस पर विचार किया जा सके.

Advertisement

केंद्र और जेल महानिदेशक के वकील ने क्‍या कहा?

केंद्र सरकार और जेल महानिदेशक का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील रजत नायर ने दलील दी कि एम्स द्वारा एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था. हालांकि, मलिक ने जांच कराने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि आजकल जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉक्टरों से परामर्श लिया जा रहा है लेकिन कैदी इलाज के लिए जेल से बाहर जाना चाहता है.

Advertisement

अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर कि आपत्ति क्या है. मलिक के वकील ने कहा कि पहले उनका इलाज अन्य चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा था और अचानक अधिकारियों ने उन्हें बदल दिया है और एक नया मेडिकल बोर्ड बनाया गया है.

Advertisement

ये भी पढ़ें :

* दिल्‍ली पुलिस ने ग्रेटर नोएडा में ड्रग्‍स बनाने की फैक्‍ट्री पर मारा छापा, करोड़ों की ड्रग्‍स के साथ चार विदेशी गिरफ्तार
* दिल्‍ली में जीरो होगा बिजली का बिल और मिलेगा कमाई का मौका, केजरीवाल सरकार की नई सोलर पॉलिसी
* दिल्ली में 1.47 करोड़ मतदाताओं के साथ मतदाता सूची प्रकाशित, युवाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Kailash Mansarovar Yatra: देखिए भारत की सीमाओं से बाहर बसे एक पर्वत और झील की कहानी | Exclusive
Topics mentioned in this article