"अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद थम गई है दिल्ली सरकार" : हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया है कि प्रशासनिक बाधाओं के कारण शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में लगभग दो लाख छात्रों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को शहर के नागरिक निकाय द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षा की स्थिति को लेकर एक याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार ठहर गई है. दिल्ली जैसी व्यस्त राजधानी में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक नहीं है, ये ऐसा पद है जहां उन्हें 24x7 उपलब्ध रहना होता है. अदालत ने कहा कि उनकी अनुपस्थिति बच्चों को उनकी मुफ्त पाठ्य पुस्तकों, लेखन सामग्री और ड्रेस से वंचित नहीं कर सकती.

दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा, "राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित की मांग है कि इस पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित अवधि के लिए संवादहीन या अनुपस्थित न रहे."

अदालत ने कहा कि दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज का ये मानना कि एमसीडी आयुक्त की वित्तीय शक्ति बढ़ाने के लिए सीएम केजरीवाल की मंजूरी की जरूरत होगी, ये बताती है कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार ठप हो गई है.

याचिका में कहा गया है कि प्रशासनिक बाधाओं के कारण शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में लगभग दो लाख छात्रों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

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26 अप्रैल को सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने में विफलता के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल, दिल्ली सरकार और नगर निकाय को कड़ी फटकार लगाई थी. न्यायाधीशों ने कहा था कि दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद भी केजरीवाल का पद पर बने रहना राजनीतिक हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखता है.

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फटकार के बाद, उपराज्यपाल कार्यालय ने आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और सौरभ भारद्वाज पर एमसीडी आयुक्त की वित्तीय शक्तियों को अस्थायी रूप से 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने में देरी करने का आरोप लगाया था.

अधिकारियों ने तर्क दिया कि देरी के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएं बाधित हुई हैं, क्योंकि एक साल से अधिक समय से निगम की स्थायी समिति का गठन नहीं किया गया है.

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