कोविड के लिए इस बार होम आइसोलेशन 7 दिनों का ही क्यों? ICMR के चीफ ने बताई वजह

भार्गव ने कहा, “वायरस को शरीर में बढ़ने में समय लगता है और इसे ‘लेटेंट पीरियड’ कहा जाता है. तीसरे दिन से आठवें दिन तक यह लेटरल फ्लो जांच में सामने आएगा जो ‘इंफेक्शियस पीरियड’ होता है.”

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कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर बरती जा रही है सतर्कता
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि रैपिड एंटीजन ( Rapid-Antigen) जांच और घर पर की गई एंटीजन जांच समेत ‘लेटरल फ्लो' जांच के द्वारा, वायरस से संक्रमित होने के तीसरे दिन से आठवें दिन तक कोविड का पता चल सकता है जबकि आरटी पीसीआर जांच से 20 दिन तक संक्रमण का पता चल सकता है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चाहे किसी भी प्रकार की जांच करवाई जाए, संक्रमण के पहले दिन उसका नतीजा ‘निगेटिव' आएगा. भार्गव ने कहा, “वायरस को आपके शरीर में बढ़ने में समय लगता है और इसे ‘लेटेंट पीरियड' कहा जाता है. तीसरे दिन से आठवें दिन तक यह लेटरल फ्लो जांच में सामने आएगा जो ‘इंफेक्शियस पीरियड' होता है.”

उन्होंने कहा, “इसीलिए अस्पताल से छूटने और घर पर होम आइसोलेशन में रखने की नीति सात दिन की अवधि पर केंद्रित होती है.” उन्होंने कहा कि आरटीपीसीआर जांच के नतीजे आठवें दिन के बाद भी पॉजिटिव आते हैं क्योंकि कुछ आरएनए कण जो कि संक्रमित नहीं करते, उनसे जांच में संक्रमण की पुष्टि होती है.” आईसीएमआर के महानिदेशक ने कहा कि वायरस के ओमीक्रॉन स्वरूप के लिए लेटरल फ्लो जांच आधार बन चुका है.

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भार्गव ने कहा कि सरकारी परामर्श के अनुसार, संक्रमितों के संपर्क में आने वाले उन लोगों को, जिन्हें उम्र या बीमारी के आधार पर चिह्नित किया गया है, अंतरराज्यीय यात्रा करने वाले लोगों को जांच करवाने की जरूरत नहीं है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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