कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Congress MP Shashi Tharoor) का 'मलयाली तालिबान' ट्वीट विवादों में घिर गया है. थरूर ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद मंगलवार को ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट शेयर की थी, जिसके बाद लोगों ने उनकी जमकर आलोचना की है. हालांकि थरूर ने कई ट्वीट के जरिये अपनी बात का बचाव करने की कोशिश की है.
केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद ने अपने ट्वीट में लिखा, 'ऐसा लगता है कि कम से कम दो मलयाली तालिबान हैं, 8 सेकंड के आसपास एक शख्स संसारकिट्टे कह रहा है और लगता है कि जैसे दूसरा शख्स इसका मतलब समझता है!' पोस्ट को 15 अगस्त को एक यूजर रमीज ने पोस्ट किया था.
वीडियो में नजर आता है कि एक तालिबानी अफगानिस्तान की राजधानी के पतन से कुछ घंटे पहले काबुल के पास खुशी से रो रहा है.
उनके ट्वीट को लेकर तुरंत कई प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. पत्रकार कोराह अब्राहम ने लिखा, 'यह बेहद समस्याग्रस्त है. इस तरह के बयान देना खासकर तब जबकि दक्षिणपंथी ईको सिस्टम केरल के खिलाफ जेहादी समूहों में शामिल होने के बारे में हेट कैंपेन चला रहा है और आपको केरल की राजधानी का सांसद होने के नाते इसे बेहतर तरीके से समझना चाहिए.'
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इस पर जवाब देते हुए कांग्रेस नेता ने लिखा, 'मुझसे केरल की माताओं ने संपर्क किया था, जिनकी बेटियों को उनके गुमराह पतियों द्वारा ले जाए जाने के बाद वे अफगानिस्तान में फंस गई. मैंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराजजी के साथ मामले की पैरवी के लिए मीटिग की व्यवस्था की थी, जाहिर है कि मैं सांसद होने के कारण स्थिति से वाकिफ हूं.'
मलयाली लेखक एनएस माधवन ने कहा, 'इस वीडियो को कई बार सुना, उस शख्स ने संसारकिट्टे नहीं कहा. उसने जमजम कहा होगा-अरबी में पवित्र जल या तमिल में संसारम, जिसका अर्थ पत्नी है या वह अपनी भाषा में कुछ कह रहा था. यदि पत्नी शब्द सांसद को उकसाता है तो उसमें मलयाली को क्यों घसीट लाए?'
भाजपा के विनीत गोयनका ने ट्वीट किया, 'शशि थरूर ये काॅमेडी शो नहीं है. यह सिर्फ हिमशैल का एक सिरा लगता है. कांग्रेस और लेफ्ट छद्म धर्म निरपेक्षता के चलते केरल का विनाश कर रहे हैं. #EnemiesWithin में मैने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि कैसे केरल इस्लामिक आतंकियों की भर्ती के लिए हाॅटस्पाॅट बन रहा है.'
हालांकि जिस ट्विटर यूजर की पोस्ट को थरूर ने शेयर किया था, उसने भी थरूर को पीछे धकेल दिया. उसने लिखा, 'तालिबान के रैंक और फाइल में केरल मूल के लड़ाके नहीं हैं. वे जाबुल प्रांत के बलूच हैं जो ब्राहवी बोलते हैं और उनके बीच ब्राहवी भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है, यह तेलुगु, तमिल, मलयालम के समान ही द्रविड़ भाषा है.'
बाद में थरूर ने एक लेख को साझा किया, जिसमें खुफिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया है और कहा गया कि, 'आठ केरलवासी जो कि आईएस में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान गए थे.' तालिबान द्वारा मुक्त कराए गए कैदियों में से थे.
कांग्रेस सांसद ने अपनी एक पोस्ट में लिखा, 'मुझे यकीन है कि तालिबान में मलयाली की संभावना के बारे में मेरे ट्वीट की निंदा करने वाले सभी लोग उन लोगों को नोटिस करेंगे जिन्हें सरकारी जेलों से रिहा किया गया है.'