हार्दिक पटेल के जाने से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं, वह अब केवल ‘‘टेलीविजन के शेर’’ : राजनीतिक विश्लेषक

आरक्षण आंदोलन में हार्दिक पटेल के साथी रहे लालजी पटेल ने कहा, ‘‘हार्दिक जब आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे, तो उन्होंने वादा किया था कि वह राजनीति में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उन्होंने उस पार्टी में शामिल होकर बड़ी गलती की. पाटीदार समुदाय के लोगों ने आरक्षण आंदोलन के नेताओं की आलोचना की, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमने राजनीति में जगह बनाने के लिए प्रदर्शन का इस्तेमाल किया.’’

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अहमदाबाद:

कांग्रेस की गुजरात इकाई (Gujarat Congress) के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि इस साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) के कांग्रेस छोड़ने से पार्टी के प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि वह अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं. वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पटेल केवल ‘'टीवी के शेर' हैं.

कांग्रेस को 2017 में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले पटेल के आंदोलन से लाभ हुआ था, लेकिन 2019 में उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद से पार्टी के प्रति समुदाय का समर्थन कमजोर हुआ है. पटेल ने पिछले सप्ताह पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.

राज्य की 182 सदस्यीय विधानसभा में मात्र नौ सीट कम होने के कारण कांग्रेस 2017 गुजरात चुनाव में पीछे रह गई थी. तब ऐसा माना जा रहा था कि उसमें दो दशकों से अधिक समय से राज्य में सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने की क्षमता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के लिए सत्तारूढ़ भाजपा से अब मुकाबला करना आसान नहीं होगा.

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कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया पर लोगों की टिप्पणियां देखिए. सभी कांग्रेस छोड़ने के हार्दिक के कदम के खिलाफ हैं. उन्होंने अपनी विश्वसनीयता खो दी है.''

वहीं राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल ने कहा कि कांग्रेस की स्थिति इस बार पहले से ही कमजोर है और 2017 चुनाव से पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण जो माहौल बना था, इस बार ऐसा कोई माहौल नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘बल्कि आंकड़े बताते हैं कि पाटीदार समुदाय के कई लोगों ने 2019 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद पंचायत एवं नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं दिया. इन चुनावों में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की.''

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दिलीप गोहिल ने कहा, ‘‘इसलिए व्यावहारिक रूप से देखा जाए, तो हार्दिक के इस्तीफे के कारण कांग्रेस पर जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं पड़ा. वह आरक्षण आंदोलन के दौरान मीडिया के पसंदीदा थे, इसलिए उनके कांग्रेस छोड़ने की खबर सुर्खियों में आई, लेकिन अब वह केवल ‘टेलीविजन के शेर' हैं, जैसे कि प्रिंट मीडिया के दौर में नेता ‘कागजी शेर' शब्द का इस्तेमाल करते थे.'' उन्होंने कहा कि हार्दिक पटेल अब ऐसा व्यक्ति हैं जो टीवी पर तो प्रभावशाली प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में उसका प्रभाव नहीं है.

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सामने राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) के बढ़ते कदम समेत और भी कई चुनौतियां है. गोहिल ने कहा, ‘‘कांग्रेस रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर और नरेश पटेल जैसे नए नेताओं को लाना चाहती थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है. दूसरी ओर, जिग्नेश मेवाणी जैसा धुर वामपंथी नेता कांग्रेस को मदद के बजाय नुकसान ही पहुंचाएगा, क्योंकि औद्योगिक और दक्षिणपंथी वर्चस्व वाले गुजरात में उनके विचारों को समर्थन मिलने की संभावना नहीं है.''

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आरक्षण आंदोलन में हार्दिक पटेल के साथी रहे लालजी पटेल ने दावा किया कि हार्दिक ने तीन साल पहले कांग्रेस में शामिल होकर गलती की थी. उन्होंने कहा, ‘‘हार्दिक जब आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे, तो उन्होंने वादा किया था कि वह राजनीति में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उन्होंने उस पार्टी में शामिल होकर बड़ी गलती की. पाटीदार समुदाय के लोगों ने आरक्षण आंदोलन के नेताओं की आलोचना की, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमने राजनीति में जगह बनाने के लिए प्रदर्शन का इस्तेमाल किया.''

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लालजी पटेल ने कहा, ‘‘यदि हार्दिक अब भाजपा में शामिल होते हैं, तो वह एक और बड़ी गलती करेंगे, क्योंकि लोग उन्हें खारिज कर देंगे.''
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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