केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने आईसीएआर के पूर्व छात्रों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कई अहम बातें कहीं. उन्होंने कहा कि मैं बड़ी आशा से आपके बीच आया हूं. यहां आना और मेरा भाषण केवल कर्मकांड नहीं है. कृषि के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल देने की मेरी जिद, जुनून और जज्बा है, जो आपके साथ मैं मिलकर करना चाहता हूं. उन्होंने कहा, "मैं किसान और विज्ञान को जोड़ना चाहता हूं. हम प्रयोग करते हैं किसानों को बहुत बाद में पता चलता है. मैं खेत में बैठकर किसानों से भी बात करूंगा. मैं आपके निकट संपर्क में रहना चाहता हूं."
किसान का कल्याण करना है, उत्पादन बढ़ाना है : शिवराज
उन्होंने कहा कि मैं चैन से बैठने वालों में से नहीं हूं. दिन-रात काम करूंगा. किसान का कल्याण करना है, उत्पादन बढ़ाना है. किसान भाई आधुनिक तकनीकों के आधार पर काम कर ही रहे हैं. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि गेहूं में तो 45 मिलियन टन उत्पादन केवल इसलिए हो रहा है कि हमने जो रीसर्च कर नए बीज बनाए हैं, यह उसका परिणाम है. 45 हजार करोड़ का बासमती राइस हम एक्सपोर्ट कर रहे हैं वो भी हमारे किसान भाईयों के कारण हो पा रहा है. जो अलग-अलग संस्थानों पर विभिन्न पद पर बैठे हैं, चाहे देश में बैठे हैं, चाहे विदेश में बैठे हैं, उन्हें भी मैं छोडूंगा नहीं, उन्हें भी मैं पकडूंगा और मैं कहूंगा कि साथ आओ हम सब मिलकर काम करें.
घाटे की नहीं फायदे की खेती बनाना है : शिवराज सिंह चौहान
शिवराज ने कहा, मेरी चिंता है, आज मैं शेयर करना चाहता हूं कि हमारे यहां 86 प्रतिशत किसान स्माल मार्जिनल फार्मर हैं. डेढ़ एकड़, दो एकड़, ढाई एकड़, 1 हैक्टेयर. अब हमें खेती का मॉडल ऐसा बनाना पड़ेगा कि वह एक हेक्टेयर तक की खेती में कैसे अपनी आजीविका ठीक से चला सके. मैं कहता हूं उत्पादन बढ़ाना है, उत्पादन की लागत घटाना है, तीसरी चीज उत्पादन का ठीक दाम देना है. घाटे की नहीं फायदे की खेती बनाना है और उसके लिए हम और प्रधानमंत्री मोदी प्रतिबद्ध हैं.
भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाएं : शिवराज
उन्होंने कहा कि किसान को हमें विज्ञान से जोड़ना है. खेत, किसान से लेकर वैज्ञानिक तक अगर जुड़ जाए और ज्ञान सीधे किसान के खेत में पहुंच जाए तो चमत्कार हो सकता है. आपके और मेरे बीच एक फोन कॉल की दूरी है. मैं धीरे-धीरे अलग-अलग भी मिलूंगा लेकिन मिलने में समय लगता है. इसके लिए सुझाव भी आप मुझे भेज सकते हैं फिर हम चर्चा कर सकते हैं. कोई ऐसा रोडमैप बना लें जिस पर चलकर न केवल भारतीय कृषि और किसान का कल्याण हो सके बल्कि हम भारत को दुनिया का फूड बास्केट बना दें, दुनिया को अन्न खिलाएं, एक्सपोर्ट करें.
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