भारत सरकार ने IT (इंटरमीडिएट्री गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स) नियमों में बदलाव किया है. संशोधित नियमों के अनुसार, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल प्लेटफॉर्म्स को भारत के संविधान के प्रावधानों और देश की संप्रभुता के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा. दरअसल, सोशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों एवं अन्य मुद्दों को लेकर दर्ज शिकायतों का संतोषजनक निपटारा करने के लिए सरकार ने शुक्रवार को IT नियमों में बदलाव करते हुए तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन की घोषणा की है. ये समितियां मेटा और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सामग्री के नियमन के संबंध में किए गए फैसलों की समीक्षा कर सकेंगी.
शुक्रवार को जारी गजट अधिसूचना के मुताबिक तीन महीने के भीतर 'शिकायत अपीलीय समितियां' गठित कर दी जाएंगी. इन अपीलीय समितियों के गठन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया नीति संहिता) नियम, 2021 में कुछ फेरबदल किए गए हैं.
अधिसूचना में कहा गया है, ''केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2022 के लागू होने की तारीख से तीन महीने के भीतर अधिसूचना द्वारा एक या अधिक शिकायत अपीलीय समितियों का गठन करेगी.'' हर प्रत्येक समिति में एक चेयरपर्सन और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे. इनमें से एक पदेन सदस्य होगा और दो स्वतंत्र सदस्य होंगे. अधिसूचना के मुताबिक शिकायत अधिकारी के निर्णय से असहमत कोई भी व्यक्ति, शिकायत अधिकारी से सूचना मिलने से तीस दिनों के भीतर अपीलीय समिति में शिकायत कर सकता है.गौरतलब है कि इलेक्ट्रानिक्स और आईटी मंत्रालय ने 2021 के आईटी के नियमों में संशोधन का मसौदा जारी किया था जिसमें उसने एक पैनल गठित करने का प्रस्ताव किया था जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के फैसलों को निरस्त (override) कर सकता है. (भाषा से भी इनपुट)
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