रक्त के थक्के बनने की चिंता के बीच ब्रिटेन में 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों को वैक्सीन का मिलेगा विकल्प

Astrazeneca की कोरोना वैक्सीन लेने के बाद खून का थक्का जमने की बढ़ती चिंताओं की बीच ये सलाह दी गई है. ब्रिटिश सरकार की वैक्सीन पर बनी सलाहकारी संस्थान ने ये सिफारिश की है.

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लंदन:

रक्त के थक्के बनने की चिंता के बीच ब्रिटेन में 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों को वैक्सीन का दूसरा विकल्प मिलेगा. ब्रिटेन की एक स्वास्थ्य समिति ने सिफारिश की है कि 18 से 29 वर्ष के आय़ु वर्ग के युवाओं को एस्ट्राजेनेका की जगह कोरोना की दूसरी वैक्सीन का विकल्प मिलना चाहिए. कोरोना वैक्सीन लेने के बाद खून का थक्का जमने की बढ़ती चिंताओं की बीच ये सलाह दी गई है. ब्रिटिश सरकार की वैक्सीन पर बनी सलाहकारी संस्थान ने ये सिफारिश की है.

ब्रिटिश गवर्नमेंट कमेटी कोरोनावायरस के वैक्सीनेशन को लेकर यह सिफारिश ऐसे वक्त की है, जब यूरोप के कई देशों में रक्त का थक्का (blood clot) जमने की परेशानियां सामने आई हैं. इसके कारण 7 लोगों की मौत हुई है. यूरोप के कई देशों ने अस्थायी तौर पर एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन का इस्तेमाल रोक दिया है. वैक्सीनेशन और इम्यूनाइजेशन की संयुक्त समिति के प्रमुख वेई शेन लिम ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि जो भी 18 से 29 साल के वयस्क, जिन्हें कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है, उन्होंने कोविड वैक्सीन का कोई और विकल्प उपलब्ध कराया जाना चाहिए. जहां कहीं भी ऐसा संभव हो.

ब्रिटेन के चिकित्सा नियामक ने पिछले हफ्ते बताया है कि देश में उन 30 लोगों में से सात लोगों की मौत हो गई है, जिनके शरीर में Oxford-AstraZeneca वैक्सीन लेने के बाद खून के थक्के जम गए थे. नियामक संस्था ने शनिवार को मौतों की बात स्वीकार की थी. उसका यह बयान तब आया है, जब वैक्सीन का खून के थक्के बनने की घटनाओं संबंध को लेकर आशंकाएं उठ रही हैं और इसे देखते हुए कई यूरोपीय देशों ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.

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ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 1.8  करोड़ लोगों को दी जा चुकी है. लेकिन कुछ लोगों में ब्लड क्लॉटिंग या थ्रॉम्बॉसिस के मामलों ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी है. आयोग का कहना है कि 30 में से 22 मामलों में खून का थक्का जमने की समस्या देखी गई, जिसे cerebral venous sinus thrombosis कहा जाता है. 8 लोगों में एक दूसरे टाइप का थ्रॉम्बॉसिस देखने को मिला है, जिसमें ब्लड प्लेटलेट्स का स्तर गिर जाता है, जिससे कि ब्लड क्लॉट बनने लगते हैं.

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