दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने आज पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को राष्ट्रीय राजधानी में "स्वास्थ्य आपातकाल" पर एक पत्र लिखा. इसमें एलजी ने भगवंत मान से पंजाब में पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए तत्काल उपाय करने का आग्रह किया. एलजी ने लिखा है, 'मैं आपका ध्यान उस दर्द और पीड़ा की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, जो दिल्ली के लोग बिना किसी गलती के अनुभव कर रहे हैं. दिल्ली को "गैस चैंबर" में बदल दिया है.''
एलजी ने कहा, "मौजूदा स्थिति, नागरिक के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. 24 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच की अवधि में पराली जलाने की घटनाओं में 2021 में इसी अवधि की तुलना में 19% की वृद्धि हुई है. हर आम नागरिक "आंखों में लगातार जलन, खांसी, नाक बंद, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ के साथ सांस लेने में तकलीफ" का सामना कर रहा है.''
उपराज्यपाल ने कहा, ''गंभीर वायु प्रदूषण और इसके कारण लग रहे प्रतिबंध सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. 'बायो-डीकंपोजर' को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए करोड़ों खर्च करने के बाद भी पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं ने "अन्य स्थानों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है".
एलजी ने कहा, "कुछ तत्व" इस मुद्दे से निपटने की बजाय "ब्लेम गेम एंड एक्सक्यूज (बहाने बनाने और दूसरों को दोष देने)" में लिप्त हैं. गंभीर संकट की स्थिति में भी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं. सक्सेना ने भगवंत मान से सभी उपलब्ध संसाधनों और मशीनरी को सक्रिय करने का आग्रह किया ताकि किसान इस "दोहरे खतरे" को हराने के लिए इच्छुक भागीदार बन सकें.
बता दें कि भगवंत मान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ वायु प्रदूषण के खिलाफ एक आज एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी की जिम्मेदारी ली और सभी से संयुक्त प्रयास का आह्वान किया.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पराली जलाना बढ़ रहा है, क्योंकि कृषि उपज भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार अगले साल धान की फसल की जगह अन्य फसल की विविधता लाने पर विचार कर रही है. अर्थ साइंसेज मंत्रालय एजेंसी सफर के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 34% है. यह पिछले साल की हिस्सेदारी से इस बार 7% अधिक है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 20% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लगभग 30% की गिरावट दर्ज की गई है. पंजाब सरकार पराली जलाने की समस्या को कम करने में योगदान नहीं देने के लिए केंद्र पर आरोप लगा रही है.
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