भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस साल के अंत में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2023) में मुख्यमंत्री चेहरा पेश नहीं करेगी. खासकर बहुसंख्यक हिंदी भाषी राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनावों में इसका खास ख्याल रखा जाएगा. वहीं, तेलंगाना और मिजोरम का चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने 'सामूहिक नेतृत्व' पर भरोसा करने की योजना बनाई है. बीजेपी के एक वरिष्ठ सूत्र ने सोमवार को NDTV को ये जानकारी दी.
बीजेपी की रणनीति में यह बदलाव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक भविष्य को लेकर चल रही अटकलों के बीच आई है. 64 वर्षीय चौहान को अब तक उम्मीदवार के रूप में नामित नहीं किया गया है. ऐसी चर्चा है कि पार्टी सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए उन्हें हटा सकती है. इससे पहले पार्टी सूत्रों ने NDTV से बातचीत में कहा कि शिवराज सिंह चौहान को साइडलाइन किए जाने या हटाए जाने की चर्चा पूरी तरह से गलत है. हालांकि, उन्होंने कहा कि बीजेपी के चुनाव जीतने पर कोई भी नेता मुख्यमंत्री बन सकता है.
हिंदी पट्टी के प्रमुख राज्यों में एक राजस्थान भी है. राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी चुनावी मैदान में है. ऐसा पहली बार है जब बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान नहीं किया जाएगा. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की दावेदारी यहां सबसे मजबूत मानी जा रही थी, जबकि अर्जुन मेघवाल की दावेदारी मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में उभरकर सामने आयी है. लेकिन पार्टी ने अशोक गहलोत के खिलाफ सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है.
मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी फिलहाल मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में किसी को प्रोजेक्ट करने नहीं जा रही. यहां पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, प्रदेशाध्यक्ष अरूण साहो, दसवां सांसद सरोज पांडे और राम विचार नेताम जैसे दिग्गज नेताओं के होते हुए बीजेपी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है.
बीजेपी के एक बड़े नेता ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सावधान देते हुए बताया कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में 14 साल से वनवास में थी. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की. ऐसी ही जीत की उम्मीद बीजेपी को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में एक बार फिर से सामूहिक नेतृत्व में भरोसा करने के लिए मज़बूर कर रही.
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