कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने हिजाब विवाद और समान नागरिक संहिता (UCC) जैसे मुद्दों को विधानसभा चुनावों के दौरान उठाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि बीजेपी ‘‘बेचैन'' है, क्योंकि मतदाताओं पर उसकी पकड़ कम हो रही है.
खुर्शीद ने दिये एक साक्षात्कार में कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं करना कांग्रेस के लिए चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि प्रियंका गांधी वाद्रा सामने से अगुवाई कर रही हैं.कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह बीजेपी द्वारा नियोजित एक ‘‘बहुत ही कुटिल रणनीति'' हो सकती है, लेकिन यह उनके ‘‘विचारों के पूर्ण दिवालियापन'' को भी दर्शाता है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पिछले सात वर्षों के उनके प्रदर्शन में पूर्ण विश्वास की कमी को भी दर्शाता है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह लग रहा है कि लोग उनकी चालों को अब समझने लगे हैं, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में उनका (बीजेपी) समर्थन किया है और मुझे उम्मीद है कि इसका वास्तविक नतीजे पर प्रभाव पड़ेगा.''उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद चुनाव लड़ रही हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या वह चुनावों से पहले हिजाब मुद्दे को ध्रुवीकरण की रणनीति के रूप में देखते हैं, उन्होंने पूछा कि अब ही इसे क्यों उठाया गया. खुर्शीद ने कहा, ‘‘हिजाब कुछ ऐसा नहीं है जो कल शुरू हुआ, हिजाब लंबे समय से चल रहा है. यह एक ज्ञात तथ्य है कि हिजाब लंबे समय से है और लड़कियां उचित तरीके से हिजाब का उपयोग कर रही हैं. वे आज इसे क्यों उठा रहे हैं? यह बहुत स्पष्ट है कि वे इसका उपयोग बहुत ही कुटिल कारणों से कर रहे हैं.''
उन्होंने कहा कि अदालतों ने इस मामले पर एक स्पष्ट दृष्टिकोण रखा है. उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर समझदार लोग समझेंगे कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मुद्दा है और यह टोपी पहनने वाले व्यक्ति, पगड़ी पहनने वाले व्यक्ति से अलग नहीं है, या सिख पगड़ी पहनते हैं क्योंकि ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जो या तो धार्मिक प्रथा या धार्मिक विश्वासों से संबंधित हैं, और सभी संविधान के तहत अधिकारों द्वारा संरक्षित हैं.''
खुर्शीद ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस बयान के लिये उनपर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी राज्य में फिर से चुने जाने पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाएगी. उन्होंने कहा कि उन्हें यह भी नहीं पता कि यूसीसी क्या है और यह क्या है, इसके बारे में कभी नहीं बताया है. उन्होंने कहा, ‘‘देश में बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित विभिन्न धर्म हैं, जिनके अलग-अलग कानून और नियम हैं, और किसी के लिए यह कहना कि हमारे पास एक यूसीसी होगा, उन्हें पहले यह स्पष्ट करना होगा कि उनका इससे क्या मतलब है.''
उन्होंने दावा किया कि इस तरह के सभी मुद्दों को उठाना बीजेपी में आत्मविश्वास की कमी और उसकी ‘‘मतदाताओं पर पकड़ कम होने की शुरुआत होने'' की ओर इशारा करता है. खुर्शीद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसीलिए वे पूरी तरह से अप्रासंगिक चीजों को उठा रहे हैं.'' कुछ राजनीतिक पंडितों द्वारा उत्तर प्रदेश में बीजेपी और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच द्विध्रुवीय मुकाबले की ओर इशारा करने के बारे में पूछे जाने पर खर्शीद ने कहा कि चुनाव को द्विध्रुवी कहना ‘थोड़ा अतिशयोक्ति' है क्योंकि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उम्मीदवार कौन हैं, प्रत्येक सीट में किस प्रकार के समुदाय हैं.
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस 10 मार्च को जब परिणाम सामने आयेंगे अपनी ‘‘जोरदार उपस्थिति'' दर्ज करायेगी. खुर्शीद ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में हमारा रिकॉर्ड बहुत निराशाजनक रहा है और हमने प्रियंका गांधी जी के नेतृत्व में वापसी करने और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बहुत संघर्ष किया है.'' उन्होंने कहा कि पार्टी लंबे समय के बाद उत्तर प्रदेश में सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी इन सीटों पर 40 प्रतिशत महिलाओं के साथ लड़ रही है और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर यह स्थायी छाप छोड़ेगी. उन्होंने कहा, ‘‘यह कांग्रेस पार्टी के पुनरुत्थान की कहानी का अंत नहीं होगा, यह उस कहानी की शुरुआत होगी.''यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस उत्तर प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं कर रही है और क्या इससे पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ेगा, खुर्शीद ने कहा कि कांग्रेस के लिए चिंता का विषय नहीं है क्योंकि प्रियंका गांधी वाद्रा सामने से अगुवाई कर रही हैं.