राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि बिहार में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) की गैरकानूनी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से संबंधित मामले में एक मुख्य आरोपी के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई है. एजेंसी ने कहा कि अनवर राशिद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत शुक्रवार को पटना की एक विशेष एनआईए अदालत में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई.
एजेंसी ने जानकारी दी है कि अनवर राशिद उत्तर प्रदेश के संत रविदास नगर का निवासी है. वह इस मामले में गिरफ्तार किए गए 17 आरोपियों में से एक था. यह मामला पिछले साल 12 जुलाई को 26 आरोपियों के खिलाफ फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. एनआईए ने 10 दिन बाद मामले को अपने हाथ में लिया था. इसके बाद एनआईए की ओर से 7 जनवरी, 3 अगस्त और 1 सितंबर को 13 संदिग्धों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी.
एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि जांच से पता चला है कि अनवर राशिद पूर्व में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का सदस्य था. केंद्र के सिमी पर प्रतिबंध लगाने के बाद वह 'वाहदत-ए-इस्लामी, हिंद' समूह से जुड़ गया और पूरे समय सिमी की चरमपंथी, गैरकानूनी और हिंसक विचारधारा को बढ़ावा देता रहा.
सिमी सदस्यों को साथ लाने में निभाई थी भूमिकाएजेंसी के मुताबिक, पीएफआई जब सक्रिय रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था, उस वक्त अनवर राशिद ने भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के अपने लक्ष्य से प्रेरित होकर खुद को इन समूहों के साथ जोड़ लिया. अनवर राशिद ने पूर्व सिमी सदस्यों वाले एक गुप्त समूह को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
साथ ही एनआईए की ओर से कहा गया कि अनवर राशिद आतंक के आरोपियों को फंड ट्रांसफर करने में भी शामिल था. साथ ही वह नियमित रूप से कट्टरपंथी और भोले-भाले युवाओं और समान विश्वास वाले अन्य लोगों के साथ कट्टरपंथी साहित्य साझा भी करता था. इस मामले में आगे की जांच जारी है.
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