भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी गौतम नवलखा को तुरंत जसलोक अस्‍पताल में भर्ती कराएं : सुप्रीम कोर्ट

SC ने नवलखा के अस्पताल में मेडिकल परीक्षण और उपचार कराने के आदेश जारी किए गए हैं. वे अस्पताल में भी हिरासत में ही रहेंगे.

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मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था
नई दिल्‍ली:

Bhima Koregaon case: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी गौतम नवलखा की तलोजा जेल से स्थानांतरित करने और घर में नजरबंद रखने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को तुरंत मुंबई के जसलोक अस्पताल में भर्ती कराने के आदेश दिए हैं. SC ने नवलखा के अस्पताल में मेडिकल परीक्षण और उपचार कराने के आदेश जारी किए गए हैं. वे अस्पताल में भी हिरासत में ही रहेंगे. अस्पताल के नियमों के मुताबिक सिर्फ दो रिश्तेदारों को मिलने की इजाजत होगी. अस्पताल अगली सुनवाई पर उनकी मेडिकल स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगा.  21 अक्‍टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ह्रषिकेश रॉय की बेंच ने कहा, "हम इस विचार से हैं कि नवलखा एक विचाराधीन कैदी हैं. उनका भी स्वास्थ्य का अधिकार है.  इसलिए तलोजा जेल के सुपरीटेंडेंट को आदेश देते हैं कि वो नवलखा को उनकी पसंद के जसलोक अस्पताल ले जाएं.  हम अभी इस मामले में हाउस अरेस्ट के बड़े मुद्दे पर विचार नहीं कर रहे हैं."

इस दौरान NIA की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने हाउस अरेस्ट का विरोध किया. उन्‍होंने कहा कि वो मामले के इलेक्ट्रॉनिक्स सबूतों को मिटाना चाहते हैं, उनको हाउस अरेस्ट की इजाजत न मिले. उधर, नवलखा की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर नवलखा मुंबई में अपनी बहन के घर रहते हैं तो इसमें देश की सुरक्षा को क्या खतरा है? उनको बीमारी है और कोलोनोस्कॉपी के लिए तीन दिन के उपवास की जरूरत है. उनको जब गिरफ्तार किया गया तब भी वो हाउस अरेस्ट थे. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने NIA और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सुनवाई के दौरान कहा गया था कि नवलखा की उम्र 70 साल है, उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है. पहले भी उनको नजरबंद रखा गया था. उनको जेल में रखना सही नहीं है.

नवलखा, जो मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के पूर्व सचिव हैं, को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन शुरुआत में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था.बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अप्रैल 2020 में महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. डिफ़ॉल्ट जमानत मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए, नवलखा ने  हाईकोर्ट का रुख करते हुए कहा कि उन्हें तलोजा में बुनियादी चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यकताओं से वंचित किया जा रहा था और अपनी बढ़ती उम्र में बड़ी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.

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