दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े 'दिल्ली सेवा बिल' के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के मुहिम को झटका लगा है. आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने घोषणा की है कि वो संसद के दोनों सदनों में इस बिल का सर्मथन करेगी. टीडीपी के लोकसभा में तीन और राज्यसभा में एक सांसद हैं. टीडीपी के समर्थन से सरकार की संख्या बढ़ेगी. गौरतलब है कि एनसीटी दिल्ली (संशोधन) विधेयक 2023 को संसद में पारित करवाने लायक संख्या सरकार के पास पहले से ही मौजूद थी. टीडीपी के समर्थन के साथ ही आंध्र प्रदेश की दोनों क्षेत्रीय पार्टियां, सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी और विपक्षी टीडीपी, अब सरकार का समर्थन कर रही हैं.
गौरतलब है कि एक ही दिन पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजेडी) ने भी केंद्र सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया था. राज्यसभा में 9 सांसदों के साथ बीजद सरकार को उच्च सदन में बहुमत का आंकड़ा पार करने में मदद करेगी, जहां भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास अपने दम पर पूर्ण बहुमत नहीं है.
वाईएसआर कांग्रेस ने पहले ही समर्थन का ऐलान किया था
जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, जिसके राज्यसभा में 9 सदस्य हैं और लोकसभा में 22 सदस्य हैं, पहले ही महत्वपूर्ण विधेयक पर सरकार को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है. राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 120 है और बीजद, वाईएसआरसीपी, टीडीपी और मायावती की बसपा के समर्थन से भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पास 127 सीटें हैं.
विपक्ष के पास 109 सांसदों का समर्थन
26 सदस्यीय विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' और कुछ निर्दलीय सांसदों सहित लगभग 109 सांसदों के विधेयक के खिलाफ मतदान करने की उम्मीद है, जो विवादास्पद दिल्ली सेवा अध्यादेश की जगह लेगा. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक दिल्ली के नौकरशाहों के नियंत्रण के लिए एक अध्यादेश की जगह लाया गया है. जो केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रोकने के लिए लाया गया था.
एनडीटीवी द्वारा विशेष रूप से देखे गए दिल्ली सेवा विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार को दिल्ली में अधिकारियों के कार्यकाल, वेतन, स्थानांतरण या पोस्टिंग से संबंधित मामलों पर नियम बनाने का अधिकार होगा. और किसी भी कार्रवाई या जांच पर निर्णय लेने की भी शक्ति भी होगी.
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