महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) से जमानत के मिलने खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष की है. केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा दायर मामले में पिछले सप्ताह बंबई उच्च न्यायालय ने एनसीपी नेता को जमानत दे दी थी. हालांकि, वह अभी भी जेल में ही हैं. हाईकोर्ट ने उन्हें एक ही मामले में बेल दी थी. उन्हें पिछले साल अप्रैल में सीबीआई के द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में अभी जेल में ही रहना है.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अनिल देशमुख के वकील ने कोर्ट से कहा था कि देशमुख के खिलाफ मामला अनुमानों पर आधारित था. मूल आरोप उन पर 100 करोड़ रुपये की उगाही करने का था. एजेंसी मुश्किल से 1.70 करोड़ रुपये का पता लगाने में ही सक्षम है. वहीं ईडी का चार्जशीट में दावा है कि देशमुख ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. देशमुख पर मुंबई के विभिन्न बार और रेस्तरां से करीब करोड़ों रुपये वसूलने का आरोप है. साथ ही आरोप है कि देशमुख ने गलत तरीके से अर्जित धन को नागपुर स्थित श्री साईं शिक्षण संस्थान को मुहैया कराया, जो उनके परिवार के जरिए नियंत्रित एक शैक्षिक ट्रस्ट है.
अनिल देशमुख को पिछले साल यानी नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था और इस साल की शुरुआत में एक विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज करने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. वहीं इस साल के शुरुआत में विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज करने के बाद उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटना पड़ा था. इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के अनिल देशमुख को जमानत दे दी थी.
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