- महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर विवाद के बीच असदुद्दीन ओवैसी ने मंत्री नीतेश राणे के बयान पर प्रतिक्रिया दी है.
- नीतेश राणे ने मदरसों में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाने और मस्जिदों में अजान मराठी में कराने की मांग की थी.
- राणे ने कहा कि मदरसों में मराठी शिक्षा जरूरी है, अन्यथा वहां से केवल बंदूकें निकलेंगी, जो विवादास्पद बयान माना गया.
महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी भाषा को चल रहे विवाद में एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं. ओवैसी ने भाषायी विवाद में आक्रामक रुख अपनाने वाले महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नीतेश राणे की मांग का जवाब दिया है. राणे ने मदरसों में मराठी पढ़ाए जाने और मस्जिदों में अजान भी मराठी भाषा में कराने का विवादित बयान दिया तो ओवैसी ने उन्हें घेरने में देर नहीं लगाई. राणे के बयान पर जब प्रतिक्रिया मांगी गई तो ओवैसी ने कहा, अगर आप उनके पुराने ट्वीट देखेंगे तो वो तबलीगी जमात की इज्तेमा (सम्मेलन) का स्वागत करते दिखेंगे. वो इसका इस्तकबाल करते दिखाई देंगे.
राणे ने बुधवार को एक बयान में कहा था कि मदरसों में उर्दू की जगह मराठी भाषा पढ़ाई जानी चाहिए. मस्जिदों से अजान भी मराठी भाषा में दी जानी चाहिए. कांग्रेस द्वारा मुंबई में मराठी पाठशाला खोले जाने के फैसले पर राणे ने कहा कि मराठी स्कूलों की क्या जरूरत है. विरोधी दल को मुस्लिमों से यह कहना चाहिए कि वो अजान भी मराठी भाषा में दें.
राणे ने कहा कि मंदिरों में जय श्री राम का नारा लगता है, लेकिन अंदर 'अब्दुल' बैठा है.राणे ने कहा कि मदरसों में असली पढ़ाई तभी होगी, जब वहां मराठी भाषा की शिक्षा दी जाएगी, वरना वहां से केवल बंदूकें निकलेंगी.एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने भी राणे के बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, बीजेपी केवल धर्म और भाषा के आधार पर नफरत फैलाने का काम कर रही है. महाराष्ट्र सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
कांग्रेस ने राणे के बयान पर कहा कि मदरसों में हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही पढ़ाई जाती है. कुछ मदरसों में मराठी भी सिखाई जाती है. लेकिन अजान अरबी भाषा में ही दी जाती है. भाजपा नेता धर्म और भाषा को मिलाकर राजनीति का प्रयास कर रहे हैं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के स्कूलों में हिन्दी भाषा को अनिवार्य करने के फैसले को वापस लेने के बावजूद मराठी बनाम हिन्दी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. शिवसेना यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस मुद्दे को हवा दी थी. इसके बाद से लगातार बयानबाजी हो रही है. कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनाव को देखते हुए लगातार इस मुद्दे को गरमाने का प्रयास कर रहे हैं. मुंबई-ठाणे समेत आसपास के जिलों में उत्तर भारतीयों का खासा प्रभाव है. ऐसे में बीजेपी मराठी और उत्तर भारतीय दोनों ही समुदायों को साधने का प्रयास कर रही है.