UP चुनाव से पहले बिहार-यूपी के किसानों का अलग आंदोलन, मंगलवार को लखनऊ का घेराव, PM मोदी से पूछे 10 सवाल

यूपी में चुनावों से पहले किसानों की यह नई गोलबंदी भी सरकार का एक सिरदर्द है. किसान जन जागरण पदयात्रा में किसानों ने प्रधानमंत्री से 10 सवाल पूछे हैं. अब उनके इन सवालों का जवाब उन्हें मिल पाएगा या नहीं, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुके उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह पदयात्रा मतदाताओं की गोलबंदी में कारगर हो सकता है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
यूपी में चुनावों से पहले किसानों की यह नई गोलबंदी भी सरकार का एक सिरदर्द है.
वाराणसी:

कृषि कानूनों का विरोध, एमएसपी की गारंटी, रोजगार और बढ़ती महंगाई के मुद्दे को लेकर गांधी जयंती पर बिहार के चंपारण से निकली किसानों की लोक नीति सत्याग्रह पदयात्रा 20 अक्टूबर को वाराणसी में आकर समाप्त हुई. 350 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में कई राज्यों के किसान शामिल हुए. वे महात्मा गांधी के रास्ते पर चल कर सरकार पर नैतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

नव निर्माण किसान संगठन के संयोजक अक्षय कुमार ने बताया कि 2 अक्टूबर को चंपारण से चला किसानों का ये जत्था बुधवार (20 अक्टूबर) को बनारस पहुंचा. चंपारण वह जगह है, जहां कभी गांधी जी ने किसानों के मुद्दे को लेकर सत्याग्रह किया था. किसानों ने इस नए सत्याग्रह को लोक नीति सत्याग्रह नाम दिया है. 

अक्षय कुमार ने कहा, "जब लोक नीति संगठित होती है और सर्व आग्रह करती है तो वह सत्याग्रह होता है. करीब 500 से ज्यादा किसान नौजवान चलते-चलते उसी सत्याग्रह पर निष्ठा रखते हुए उसी लोक नीति पर निष्ठा रखते हुए लोक शक्ति को जागृत करते हुए वाराणसी पहुंचे हैं." उन्होंने कहा कि जब लोक शक्ति जागृत होगा तो राजनीति अपने आप संभल जाएगी.

आज से 104 साल पहले यानी 1917 में चंपारण में गांधी जी ने निलहा किसानों की बंधुआ खेती के ख़िलाफ किसान आंदोलन को नागरिक अधिकारों के आंदोलन में बदल डाला था. इस बार की यात्रा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ख़िलाफ़ है. 350 किलोमीटर के इस सफ़र में किसानों का व्यापक समर्थन दिखा.

किसान यात्रा संयोजक हिमांशु तिवारी ने कहा कि रास्ते भर में दिल खोलकर किसान खड़े थे. उन्होंने कहा कि जब लोगों को समझ में आया कि यह किसानों, नौजवानों का मुद्दा है, पूरे देश का मामला है, देशभक्ति का मामला है तो हर गांव में जहां-जहां हम रहने के लिए गए तो हमारे लोगों के रहने की व्यवस्था गांव के लोगों ने किया. चाहे वह बलिया हो गाजीपुर हो या बनारस. तिवारी ने कहा कि बिहार के लोगों ने विद्यालयों में जगह-जगह व्यवस्था किया हुआ था.

दिल्ली की सरहदों पर चल रहे किसान आंदोलन से अलग बिहार-यूपी को समेटते इस आंदोलन में भी लाखों किसान जु़ड़ रहे हैं और सरकार से तीखे सवाल पूछ रहे हैं. किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुनील ने कहा कि हम लोग 26 अक्टूबर को लखनऊ का घेराव करेंगे. और वहां 15 लाख से ज्यादा किसान जमा होंगे.

Advertisement

यूपी में चुनावों से पहले किसानों की यह नई गोलबंदी भी सरकार का एक सिरदर्द है. किसान जन जागरण पदयात्रा में किसानों ने प्रधानमंत्री से 10 सवाल पूछे हैं. अब उनके इन सवालों का जवाब उन्हें मिल पाएगा या नहीं, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुके उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह पदयात्रा मतदाताओं की गोलबंदी में कारगर हो सकता है.

Featured Video Of The Day
Sambhal Jama Masjid Controversy: क्‍या है संभल जामा मस्जिद विवाद? | UP News | Masjid Survey