यह ख़बर 27 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल पर बहस, विपक्ष ने गिनाईं खामियां

खास बातें

  • विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बिल में कई खामियां गिनाते हुए कहा कि यह बिल संघीय ढांचे के बारे में संविधान की बुनियादी विशिष्टता के खिलाफ है।
New Delhi:

संसद में लोकपाल पर बहस जारी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर हम आश्वस्त नहीं होते तो लोकपाल विधेयक संसद में पेश ही नहीं करते। बीजेपी ने इस विधेयक में 17 संशोधन प्रस्ताव दिए हैं। चर्चा के दौरान विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि लोकपाल विधेयक संघीय ढांचे के बारे में संविधान की बुनियादी विशिष्टता के खिलाफ है और नौ सदस्यीय लोकपाल में कम से कम 50 प्रतिशत आरक्षण और धर्म आधारित आरक्षण के प्रस्ताव संविधान सम्मत नहीं हैं। बहस के दौरान विपक्ष ने जोरदार हंगामा भी किया। सरकार का दावा है कि हमारा लोकपाल बिल मज़बूत है। सरकार का कहना है कि लोकपाल का चुनाव निष्पक्ष तरीके से ही होगा। टीम सरकार ने एक दावा और किया कि अन्ना से चर्चा के बाद ही बिल तैयार किया गया है। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद में प्रणब मुखर्जी के कमरे में एक बैठक हुई। इसमें लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, सलमान खुर्शीद और नारायणसामी मौजूद थे। संसद का सत्र 27 से 29 दिसंबर तक खासतौर पर लोकपाल बिल के विधेयक पर बहस के लिए बढ़ाया गया है। इससे पहले सोमवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद ही बिल पर आखिरी फैसला लेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है और टीम अन्ना से लोकपाल बिल के बारे में कई सुझाव लिए जा चुके हैं।


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